हर और प्यार सा है…
तुम जब से मिल गये हो, दिल में करार सा है।
सब कुछ बदल गया है, हर और प्यार सा है॥
खुशबु अलग सी है कुछ, बदले से हैं नजारे।
मौसम पे भी अलग सा, छाया खुमार सा है॥
चाहत की फुहारों से, हर आरजू मगन है।
खुशियों ने जैसे खोला, चाहत का द्वार सा है॥
मुस्कान ओढ ली है, हर गम ने रंग बदलकर।
मायूसियों ने ओढा, नवरंग निखार सा है॥
हर बेकरार धडकन, पानें लगी है नव स्वर।
तेरा साथ मेरे हमदम, जीवनव का सार सा है॥
तुम जब से मिल गये हो, दिल में करार सा है।
सब कुछ बदल गया है, हर और प्यार सा है…
सतीश बंसल
सपने सजाने लगा आजकल हूँ
मिलने मिलाने लगा आज कल हूँ
हुयी शख्शियत उनकी मुझ पर हाबी
खुद को भुलाने लगा आजकल हूँ
इधर तन्हा मैं था उधर तुम अकेले
किस्मत ,समय ने क्या खेल खेले
गीत ग़ज़लों की गंगा तुमसे ही पाई
गीत ग़ज़लों को गाने लगा आजकल हूँ
जिधर देखता हूँ उधर तू मिला है
ये रंगीनियों का गज़ब सिलसिला है
नाज क्यों ना मुझे अपने जीवन पर हो
तुमसे रब को पाने लगा आजकल हूँ