क्षणिकाएं…..
१ करके खता भी हर बार तुम खफा होते रहे ,
तेरी राहों में चिरागे रोशनी फिर भी ना हमने बुझने दी !!!
२ हो जाए खत्म दास्तां यूंही नहीं मुमकिन ,
रह जाते हैं कहीं तो बाकि निशां उसके !!!
३ तुम कहते हो ज़िंदगी से और मोहलत मांग लूं मगर ,
तुम्हारी बातों पे अब वो ऐतवार नहीं है !!!
४ कह तो दे कोई अपने मन की बात मगर ,
समझ सके जो अल्फाज़ तुम्हारे वो हर कोई नहीं होता !!!
कामनी गुप्ता ***
क्षण्काएं अच्छी लगीं .
धन्यवाद जी