ये खामोंशियाँ एक दिन गुनगुनाएंगी जरूर…
ये खामोंशियाँ एक दिन गुनगुनाएंगी जरूर
दिल में दबी हर बात, सुनाएंगी जरूर
इन्हें इन्तजार है, किसी के कदमों की आहट का
वो आहट एक दिन, इन कानों में आयेगी जरूर॥
ये जो टूट कर शाख से, गिरी हैं पत्तियां
यहां वहां हर ओर, बिखरी हैं पत्तियां।
कभी करती थी अठखेलियां, हवा की तान पर
आज हवा की चाल में ही, घिरीं है पत्तियां॥
बदलती है किस्मत, रास्ते के पत्थरों की भी
हो जाती है काया पलट, उजडे हुऐ घरों की भी।
वफा को मिलता जरूर है, एक ना एक दिन वफा का ईनाम
इनायत हो ही जाती है, पत्थर दिल दिलवरों की भी॥
आज पतझर है तो क्या हुआ, मुझे यकीं है बहारें आयेगीं जरूर
उगेगीं नव कोपलें, कलिया मुस्कायेगीं जरूर।
इन फिजाओं में, फिर खुशियां मधुरस घोलेगीं
प्रीत की कोयल अपना गीत, सुनायेगी जरूर॥
ये खामोंशियाँ एक दिन गुनगुनाएंगी जरूर
दिल में दबी हर बात, सुनाएंगी जरूर…
सतीश बंसल