एक कविता अलग अलग विचारो में
तुम्हीं हो…..
सुनो
तुमने सिर्फ
उड़ते पक्षियों की बात की
उनकी उड़ान की
कभी विचार कर
उनके प्रीत के क्षण
बोट के लिए तड़पता दिल
चोंच भर दानों के लिए
जदोजेह्द…
फिर होगी
तुम्हारी कविता मुकम्मल …..!!
— .रितु शर्मा ….
तुम्ही हो……:
सुनो
तुमने प्रीत की रीत को
लिख दिया शब्दों में
मुहब्बत के अफ़साने
उतारे सुर्ख सफ़ेद
पन्नों पर…..
मिलन की डोर से करना
आलिंगन उनका
ऊर्जा से भरा चुम्बन
तब होगी तुम्हारी कविता
मुकम्मल
— रितु शर्मा