एक अवगुण जल जाने दो
जुआं,नशा व अन्य व्यसन से जीवन न मिट जाने दो
दशहरे के इस महापर्व में एक अवगुण जल जाने दो
हर वर्ष रावण जल कर बस एक ही पाठ पढ़ाता है
अभिमान की अग्नि में जल,ज्ञान भी राख हो जाता है
दुष्कर्मों का तर्पण और हृदय में प्रण कर ही मेले जाना
मेले से जब लौट के आना सत्य,सत्कर्म साथ ले आना
प्रभु स्वयं आएंगे घर माँ-बाप को नित मुस्काने दो
दशहरे के इस महापर्व में एक अवगुण जल जाने दो
वैभव दुबे’विशेष’