गज़ल : बयान ए दिल
चाँद को पहलू में लेके चाँद से चाँद का दीदार कर लें
फलक से बातें करें पुरअसर दिल पे एतबार कर लें ।।
कभी तो रुक के देखूँ कुछ वक़्त को गुलज़ार कर लें
बेकरार वक़्त के चिलमन को हटा दें दीदार कर लें ।।
लम्हें लम्हें मंजर बदला कैसे बैठ फिर से एतबार कर लें
जुस्तजू दिल की भी है कुछ बात आज दो चार कर लें ।।
छुपाये बैठे हैं जो राज़ ए दिल आज उनका दीदार कर लें
वो शख्स तुम हो या की मैं खुद पे ही दिल निसार कर ले ।।
शाम ओ सहर सजदा किया किसे और क्यों हिसाब कर लें
तकल्लुफ में रहें क्यों वफा है तो क्यों न इजहार कर लें ।।
— अंशु प्रधान
अच्छी ग़ज़ल !