गौ माता
सभी माताओं मे मेरी गौ माता महान हैं
अपने बच्चो के साथ – साथ
दुसरों के बच्चो को कराती दुग्धपान है
हिन्दु हो या मुस्लिम,सिक्ख हो या हो ईसाई
सबपर इसकी कृपा दृष्टी रहती समान है
कभी जात पात का भेद न रखती
सबको अपना ही संतान समझती
चौरासी कोटी देवता भी इसी को मॉ समझते है
तभी इसके अन्दर अपने ही वास करतें है
अपना पूरा जीवन लगा देती परोपकार में
बदले में कुछ भी न लेती किसी सें
इसका एक- एक वस्तु होता है मुल्यवान
गोबर हो या मुत्र सबके सब आते है काम
तभी यें माता है इस जग में महान
इतनी अच्छी मॉ का भी कीमत नही समझते हैं
सबके सब इसकी बली चढाने पर लगें है
निवेदिता चतुर्वेदी
कविता बहुत अच्छी लगी। इस सुन्दर व भावपूर्ण कविता के लिए लेखिका बहिन निवेदिता जी को हार्दिक बधाई।
निवेदिता जी बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति।