तुमरे बिन हमरा कौनु नाही !
ये तो सभी जानते हैं की अब इस देश में न कोई गांधी रहा और न भगतसिंग ही कहीं है ! , लालबहादुर शास्त्री के बाद आज तक हिन्दुस्तान अपने सुस्थिति के लिए यदा यदा ही ….संभवामि युगे युगे ही गा रहा है ! लेकिन इतिहास गवाह है की आजादी के आन्दोलन से पहले और लालबहादुर के बाद में आज तक ऐसा अवतार ,मसीहा , इसा या अल्लाह कोई नहीं आया ! ! और, न निकट भविष्य में इसके कोई आसार नजर भी आते हैं | हाँ !, अन्ना ने कुछ आस जगाई थी | लेकिन उसके बाद गंवार बनाम शिक्षित नेताओं की बहस को भी केजरीवाल ने बेमानी साबित कर दिया और किसी भी शिक्षा संस्कारों में यह दम नहीं जो राजनीति के चाल से बच सके यही सन्देश जनता को दिया ! क्यूँ की केजरीवाल ने वर्तमान राजनीति में खुद को ढाल लिया अब साफ नजर आ रहा है | जब की वो राजनीति को सिद्धांतो में ढालने निकले थे ! और आज उनका भी कोई अजेंडा समझ नहीं आता ! यही हाल कभी सुचिता की राजनीति का दावा करने वाली बी जे पी का भी हुवा | और गोधरा-मंथन से उभरे नरेंद्र मोदी के अमृत ने उसे जीवनदान तो दिया ! लेकिन अब फिर वापस उसी कगार पर जाने की दिशा में है !
लेकिन इन सब से भी खुश होने की जरुरत नहीं है ! क्यूँ की अंत में विकल्प क्या बचता है ? यह सवाल महत्वपूर्ण है !
क्या वही कांग्रेस ? या फिर किसी तीसरे मोर्चे की संभावना ??
देश में सेकुलरिज्म के खिलाफ जाने वाली ताकतों को हम इनके सहारे रोक भी दें तो क्या कांग्रेस और तीसरे, चौथे ,पांचवे ….. ये भी सही विकल्प है ?? मत भूलो, की ये विकल्प भी सही साबित नहीं हुवे केवल इसीलिए सत्ता सांप्रदायिक ताकतों की भेंट चढ़ी थी | वर्ना, उनकी विचारधारा में कितना दम था और उनकी वजह से सारे भारतीयों को कटघरे में खड़ा करने का भी स्यापा कितना गलत था यह दिल्ली के बाद बिहार की चुनावों ने आईने की तरह साफ़ कर दिया ! इसीलिए हमें भी अपने वैचारिक लड़ाई के चक्रव्युव से निकल कर किसी की जीत या हार पर ख़ुशी मनाने की जगह जनता के दर्द से रूबरू होना अब जरुरी है ! क्या आपको लगता है विकास और महंगाई आदि आम जनहित से जुड़े अपने वादे पर मोदी ५० प्रतिशत भी खरा उतरते तो जनता मोदी को हारने देती ? फिर भले ही उनके चेले चपाटे कितना भी बहुसंख्यकवाद का ढोल पिटते रहते ! नहीं !! बिलकुल नहीं हारने देती !!
क्यूँ की अब स्थति ये है की जनता को जो चाहिए वो किसी से भी मिले वो उसे पार्टी- वार्टी, विचार-आचार देखे बिना जरुर आजमाना चाहती है | और उतनी ही जल्दी नकार भी रही है ! कल को ओवैसी से भी ऐसी उम्मीद बंधती है तो उन्हें भी आजमाया जाएगा ! क्यूँ की जनता को पता है की भले ही आज लालबहादुर शास्त्री न रहे लेकिन कोई भी सरकार में आनेवाली पार्टी सिर्फ किसी वर्ग विशेष का ही भला करने वाली निति नहीं चला सकती ! चला ही नहीं सकती !! चलाने की तो दूर ऐसी भनक लगने भर से उस सरकार का दिल्ली और बिहार कर देती है !
इसीलिए ओवैसी हो या मोदी ये कौन से रास्ते से आ रहे है इसको तवज्जो दिए बिना विकल्प की भूखी जनता अपना अंतिम विकल्प कायम करने के मुड में है यह जो भी समझ जाएगा इस देश पर सदा के लिए राज करेगा ! फिर वो हिन्दू हो या मुस्लिम या ……
जाते जाते ,काटजू ने कई बार ऐसे बयान देकर न सिर्फ चौंकाया है बल्कि अप्रत्यक्षत: यह कडा सन्देश भी दिया है की अब वक्त आ गया है की इस देश में काटजू हो या हार्दिक पटेल सबकी बात सुननी पड़ेगी ! समझनी पड़ेगी ! या फिर स-सन्मान नकारनी भी पड़ेगी !! लेकिन जो दमनराज से राहत पाना चाहेगा चुनाव उसे तुरंत उसकी औकात दिखा देंगे ! अन्ना ,रामदेव के जनांदोलनो का सरकार द्वारा किया हश्र कभी यह साबित नहीं करता की वे लोग गलत थे ! वर्ना आज किसी कोने से निकले किसी हार्दिक के पीछे इतने लोग न दीखते ! अब आज हार्दिक भले ही गर्दिश में हो लेकिन उसके समर्थक भी अगले चुनावों तक की उम्र तो लेकर ही आये होंगे !! जनता हिसाब चुकता करने के मुड है ! सही गलत की बहस सुनने का उसके पास समय नहीं ! इसीलिए वो चाहती है की लाठी उठाने से पहले उसे पूरी तरह बिनाशर्त सूना जाय ! इस सिलसिले में अब राम जेठमलानी ,जसवंत सिंह और कोंग्रेस के भी इसी तरह के रिटायरमेंट की उम्र में पोल खोलू बने नेताओं की बातों को केवल अवसरवादी कह कर किनारे कर देने की बजाय खुद उन्हिकी पार्टियों को अपनी पार्टी में सुधार लाने के लिए उन्हें भी आमंत्रित करना होगा ! क्यूँ की नौ सौ चूहे खाकर ही सही अंत में वे जनहित की ही बात करने पर मजबूर हैं ! उनके कथन से राजनीति और राजनेताओं के प्रति जनता के आरोपों की ही जाहिर पुष्टि होती है | इसिलिये उनके मुंह से ही सही अगर जनता की बात सरकार के कानो तक पहुँचती है तो उनकी बताई बातों ,गलतियों को गंभीरता से दूर करने की इमानदार कोशिश भी इस देश की असहाय राजनीति को जीवनदान ही देगी ! क्यूँ की भैया यह देश और इसके देशवासी ऐसे हैं की इनके हित और अस्मिता के आगे अमेरिका ,चीन यहाँ तक की पाकिस्तान से जुड़े मुद्दे भी तेल लेने चले जाते हैं ! यही जनता दिखा रही है ! अब देखते हैं कौन मौके का फायदा उठाता है !!