कर्मचारी की शालीनता
कर्मचारी को,
अपने अधिकार के लिए,
लड़ना पड़ता है,
आज के समय में।
मजदूर की तरह,
काम करने के बाद,
मजदूरी पाने की आस में।
इन्तजार करना पड़ता है।
लम्बा समय तक,
फिर भी नहीं मिलती है।
तोड़ जाते हैं धैर्य की सीमा,
बना लेते हैं अपना एक संघ।
करते हैं मार्च,
अपने कार्यालय की तरफ,
मिलते हैं अपने पदाधिकारी से,
लगाते हैं गुहार,
करते हैं विनती,
अपने ही पैसो के लिए।
कहाँ की यह न्यायसंगत बातें।
अपने ही पैसो के लिए,
बार-बार अनुरोध करना पड़ता है।
फिर भी नहीं सुनते हैं।
टाल मटोल एक दूसरे पर करते हैं।
जब कर्मी अपने अधिकार का,
परिचय का हवाला देकर,
अपनाते हैं उग्र रूप।
तब ठमक जाता है
पदाधिकारी।
देता है आश्वासन।
कुछ दिनों का मोहलत माँग कर,
उसके बावजूद भी कर्मी ,
अपनी शालीनता को,
दिखाते हुए।
उनको सम्मान देते हुए,
उनकी बातों को मानकर,
लौट जातें हैं।
वेतन का इन्तजार लिए,
अपने मन में।
@रमेश कुमार सिंह /०२-११-२०१५
सत्य कथन
शुक्रिया!