लघुकथा

~~परछाई ~~

सड़क किनारे एक कोने में, छोटे से बच्चे को दीपक बेचते देख रमेश ठिठका |
उसके रुकते ही पॉलीथिन के नीचे किताब दबाते हुए बच्चा बोला – “अंकल कित्ते दे दूँ?”
“दीपक तो बड़े सुन्दर हैं, बिल्कुल तुम्हारी तरह | सारे ले लूँ तो?”
“सारे ! लोग तो एक दर्जन भी नहीं ले रहें | महंगा कहकर, सामने वाली दूकान से चायनीज लड़ियाँ और लाइटें खरीदने चले जाते हैं |झिलमिल करती वो लड़ियाँ, दीपक की जगह ले सकती हैं क्या भला !”
उसकी बातें सुन, उसमें अपना अतीत पाकर रमेश मुस्करा पड़ा |
“बेटा ! सारे दीपक गाड़ी में रख दोंगे?”
“क्यों नहीं अंकल!” मन में लड्डू फूट पड़ा | पांच सौ की दो नोट पाकर सोचने लगा, ‘आज दादी खुश हो जाएगी | उनकी दवा के साथ-साथ मैं एक छड़ी भी खरीदूँगा | छड़ी के बिना चलने में दादी को कितनी परेशानी होती है |’
“क्या सोच रहा है, कम हैं?”
“नहीं अंकल ! इतने में तो मैं सारे सपने पूरे कर लूँगा |
कहकर वह अपना सामान समेटने लगा | अचानक गाड़ी की तरफ पलटा, फिर थोड़ा अचरज से पूछा – “अंकल, लोग मुझपर दया दिखाते तो हैं, पर दीपक नहीं लेते हैं | आप सारे ही ले लिए !” कहते हुए प्रश्नवाचक दृष्टि टिका दी ड्राइविंग सीट पे बैठे रमेश पर |
रमेश मुस्करा कर बोला-
“हाँ बेटा, क्योंकि तुम्हारी ही जगह, कभी मैं था |”
—००—

*सविता मिश्रा

श्रीमती हीरा देवी और पिता श्री शेषमणि तिवारी की चार बेटो में अकेली बिटिया हैं हम | पिता की पुलिस की नौकरी के कारन बंजारों की तरह भटकना पड़ा | अंत में इलाहाबाद में स्थायी निवास बना | अब वर्तमान में आगरा में अपना पड़ाव हैं क्योकि पति देवेन्द्र नाथ मिश्र भी उसी विभाग से सम्बध्द हैं | हम साधारण गृहणी हैं जो मन में भाव घुमड़ते है उन्हें कलम बद्द्ध कर लेते है| क्योकि वह विचार जब तक बोले, लिखे ना दिमाग में उथलपुथल मचाते रहते हैं | बस कह लीजिये लिखना हमारा शौक है| जहाँ तक याद है कक्षा ६-७ से लिखना आरम्भ हुआ ...पर शादी के बाद पति के कहने पर सारे ढूढ कर एक डायरी में लिखे | बीच में दस साल लगभग लिखना छोड़ भी दिए थे क्योकि बच्चे और पति में ही समय खो सा गया था | पहली कविता पति जहाँ नौकरी करते थे वहीं की पत्रिका में छपी| छपने पर लगा सच में कलम चलती है तो थोड़ा और लिखने के प्रति सचेत हो गये थे| दूबारा लेखनी पकड़ने में सबसे बड़ा योगदान फेसबुक का हैं| फिर यहाँ कई पत्रिका -बेब पत्रिका अंजुम, करुणावती, युवा सुघोष, इण्डिया हेल्पलाइन, मनमीत, रचनाकार और अवधि समाचार में छपा....|