कहानी

कहानी सोनम की

“अबे फ़ुरक़ान देख आ रही है वो “- शहज़ाद ने फ़ुरक़ान को हाथ मारते हुए कहा

“हाँ,भाई जान! आज बच के नहीं जानी चाहिए । अब इन्तेजार नहीं होता “- फ़ुरक़ान ने उत्तेजना और कामुकता मिश्रित आवाज में कहा ।

” चल दिवार के पीछे छुप जाते हैं”- शहज़ाद ने फ़ुरक़ान का हाथ पकड़ के दिवार की तरफ खीचते हुए कहा ।

यह पाकिस्तान के करांची शहर से लगभग  200 किलोमीटर दूर स्थित   100-120 परिवार वाला एक  गांव था जिसमें मात्र दो परिवार हिन्दू ही रहते थे । आज़ादी से पहले यह गाँव हिन्दू बहुल था परन्तु अधिकतर लोग बंटवारा होने के बाद भारत आ गए थे , कुछ लोग शहरो में जाके बस गए और गाँव मुस्लिम बहुल होता चला गया । अब मात्र दो ही परिवार बचे थे प्यारेलाल और रामआसरे ,इन दोनों को ही अपने गाँव और अपनी जमीनों से प्यार था आखिर पुरखो की जमीन और गांव को कैसे छोड़ दें ? फिर रामआसरे की माँ अभी जिन्दा थी जिसकी उम्र लगभग 80 साल की थी वह गाँव छोड़ के जाना ही नही चाहती थी ।रामआसरे की 10 बीघा खेती रोड के किनारे थी जिसमें खेती कर वह अपने परिवार का गुजरा करता ।

फ़ुरक़ान और शहज़ाद जिस लड़की का इन्तेजार कर रहे थे वह रामआसरे की छोटी बेटी थी सोनम थी  जो गाँव से दूर कक्षा 7 में पढ़ने जाती थी । फुरकान और शहज़ाद पहले भी कई बार सोनम को स्कूल से आते जाते छेड़ते थे पर आज उनके मन में खतरनाक इरादे पल रहे थे।

जैसे ही सोनम नजदीक आई दोनों अचानक दीवार के पीछे ने निकल सोनम के सामने आ गए ,इससे पहले सोनम कुछ समझ पाती फ़ुरक़ान ने सोनम मुंह पर हाथ रख के उसका मुंह बंद कर दिया । शहज़ाद ने सोनम के पैर पकड़ उसे उठा लिया , सोनम जोर से चीखते हुए  हाथ पैर मार रही पर उन दोनों के सामने असहाय पक्षी की तरह हो गई थी । दोनों सोनम को उठाये एक खाली कमरे में ले गए वंहा उन्होंने उसके हाथ पैर बाँध के बारी बारी से बलात्कार किया । बलात्कार करने के बाद सोनम को दर्द में तड़पता हुआ छोड़ वंहा से भाग गए । उनके जाने के बाद सोनम घिसटती हुई और दर्द से बिलखती हुई किसी तरह कमरे से बाहर और फिर सड़क पर आ गई । जानवरो के लिए घास लेने जा रही एक महिला की नजर सोनम  पर पड़ी और उसने उसे घर पहुँचाया ।

घर पर जब रामआसरे और घर के बाकी लोगो को पता चला तो हाहाकार मच गया ।

रामआसरे गुस्से भरा हुआ  फ़ौरन प्यारे लाल और तीन चार लोगो को ले फ़ुरक़ान और शहज़ाद के घर पहुंचा ।

फ़ुरक़ान और शहज़ाद का पिता ज़ावेदअली अपने दरवाजे के बाहर ही बैठा मिल गया ,जब रामआसरे ने उसे सारी बात बताई और पुलिस जाने की बात करने लगा तो ज़ावेद अली शायद पहले से ही तैयार था और गुस्से में  रामआसरे की गिरेवान पकड़ कर बोला ।

” तू पुलिस में जायेगा … पुलिस में जायेगा ..काफिर की औलाद , जा पुलिस में … अबे हरमज़ादे अपनी लड़की को संभाल नहीं सकता और मेरे लौंडो पर इलज़ाम लगाता है ।

रामआसरे ने जावेदअली की बात सुनी तो उसे उसे और गुस्सा आ गया उसने भी ज़ावेद अली की गिरेवान पकड़ ली और दोनों में हाथापाई शुरू हो गई।

तभी गाँव का मुखिया वंहा आता है और दोनों का बीच बचाव करता हुआ बोला-

“रामआसरे ! तुम्हे पुलिस में जाने की जरुरत नहीं है , इस गाँव में पुलिस का काम नहीं कल पंचायत बैठेगी और उसी में फैसला लिया जायेगा ”

इतना कह मुखिया ने रामआसरे को समझाया तो रामआसरे मान गया और पंचायत बैठाने के लिए तैयार हो गया।

जब रामआसरे जावेद अली के घर से चला गया तो  मुखिया बुन्दू खान को ज़ावेद अली अपने घर में ले गया । घर में बुन्दू खान और जावेद अली की बहुत देर तक बात होती रही , जब बुन्दू खान जाने लगा तो ज़ावेद अली ने एक 50 हजार की गड्डी बुन्दू खान को पकड़ा दी । बुन्दू खान चेहरे पर मुस्कान लिए वंहा से निकल गया । ।

अगली सुबह बाग़ में पंचायत लगी हुई थी , एक बड़े से चबूतरे पर मुखिया बुन्दू खान और बाकी पञ्च बैठे थे । नीचे दरी पर रामआसरे सोनम (सोनम की हालत अब भी खराब थी बड़ी मुश्किल से वह उठ बैठ पा रही थी )को लेके बैठा था दूसरी तरफ जावेद अली फुरकान और शहज़ाद को लेके , फैसला सुनने दूसरे गाँव के लोग भी आये हुए थे जिनमे 99% मुस्लिम समाज से थे पूरा माहौल कोलाहल भरा हुआ था

बुन्दू खान ने ऊँची आवाज में बोलना शुरू किया –

” मौजूद हज़रत और ख्वातीन जैसा की आप सबको यह इल्म होगा की यह पंचायत क्यों बुलाई गई है , रामआसरे का यह आरोप है की उसकी बेटी के साथ जावेद के बेटो ने बदसलूकी की है जबकि जावेद के बेटे यह कह रहें हैं की जो भी हुआ वह रामआसरे की बेटी की रजामंदी से हुआ ”

बुन्दू खान की इतनी बात कहना था की रामआसरे बीच में ही खड़ा होके चीखता हुआ बोला-

” यह झूठ है ….इसके दोनों बेटो ने मेरी बेटी से जबरजस्ती की है ” रामआसरे ने फ़ुरक़ान और शहज़ाद की तरफ इसरा करते हुए कहा ।

” खामोश!! जलील इंसान हमारी बात बीच में काटने की हिम्मत करता है ” बुन्दू खान ने गुस्से से छड़ी दिखाते हुए रामआसरे को धमकाया

” चुपचाप बैठा रह , और हमारी बात सुन पहले ‘ बुंदुखान ने कहना जरी रखा ।

” तो , हज़रात मैंने यह पता लगा लिया है की जावेद के लड़को से रामआसरे की लड़की का चक्कर था . मेरे पास गवाह है … सलीम .. बताओ सारी बात ” बुन्दू खान ने जोर से किसी सलीम को पुकारते हुए कहा

“जी ” सलीम खड़ा होता हुआ बोला

” मैं सोनम के साथ पढता हूँ और मुझे सोनम ने खुद बताया था की वह फ़ुरक़ान से प्यार करती है और उससे रोज अकेले में मिलती है ” सलीम ने कहना जारी रखा

” नहीं यह झूठ बोल रहा है ” सोनम ने रोते हुए रामआसरे को बताया ।

रामआसरे खड़ा होता हुआ बोला – ‘ बुन्दू खान जी मुझे पता चल गया है की यंहा कैसा फैसला होने वाला है , मुझे अब पंचायत से इंसाफ नहीं चाहिए अब पुलिस ही इंसाफ करेगी …. मैं जा रहा हूँ ” इतना कह रामआसरे सोनम का हाथ पकड़ चला गया ।

रामआसरे के जाने के बाद बुंदू खान और जावेद अली थोडा चिंतित हुए और पंचायत बर्खास्त कर दी गई ।

“जनाब बुन्दू साहब , अब क्या होगा? यह हरमज़ादा काफिर की औलाद अगर पुलिस में चला गया तो क्या होगा ?” -ज़ावेद अली ने परेशान होते हुए कहा ।

” कुछ नहीं होगा , तुम परेशां न हो ” बुन्दू खान ने इतना कह अपना मोबाइल निकाला और उस पर किसी से बात की ।

बात ख़त्म करने के बाद बुन्दू खान ने ज़ावेद अली के कंधे पर हाथ रखते हुए कुछ कहा  उसके बाद दोनों गाँव के मदरसे के मौलवी के पास चल दिए । मौलवी के पास पहुँच के बुन्दू खान ने उसे कुछ समझाया , मौलवी बुन्दू खान की बातो से सहमति में सर हिला रहा था तो कभी मुस्कुरा रहा था ।

इधर रामआसरे सोनम और प्यारेलाल जिले के पुलिस थाने पहुँच चुके थे , थाने में जाके उन्होंने थानेदार से मिलने की कोशिश की पर मालूम चला की थानेदार साहब थाने में नहीं हैं । उन्होंने अपनी रिपोर्ट लिखवानी चाही पर किसी ने भी उनकी रिपोर्ट नहीं लिखी और अगले दिन आने को कहा । शाम  तक इन्तेजार और गुज़ारिश करने के बाद भी जब उनकी रिपोर्ट नहीं लिखी गई तो थक हार के वापस घर आ गए और अगले दिन फिर थाने जाने का इरादा करा ।

अगली सुबह जैसे लोग जागे तो उन्होंने कई फटे हुए पन्ने रामआसरे के घर के आगे पड़े हुए देखे , कुछ पन्ने दरवाज़े पर पड़े थे और कुछ दरवाजे के भीतर से झाँक रहे थे । जैसे ही लोगो ने पन्ने उठा के देखें तो उनके मुंह से चीख निकल गई । यह क़ुरान के पन्ने थे । लोगो गुस्से में रामआसरे का दरवाजा पीटने लगे , इतने में मौलवी भी वंहा आ गया उसने जब क़ुरान के पन्ने फटे हुए देखे तो सैकड़ो लानते और गलियां देता हुआ रामआसरे को भला बुरा कहने लगा । रामआसरे ने दरवाजा जैसे ही खोला तो मौलवी ने उसकी गर्दन पकड़ ली और पूछने लगा की उसने क़ुरान का अपमान क्यों किया ?

रामआसरे ने अनभिज्ञता जाहिर की और हाथ जोड़ के गिड़गिड़ाने लगा ,पर तब तक लोगो में बात फ़ैल गई थी की रामआसरे ने क़ुरान का अपमान किया है वे गुस्से में लाठी डंडो और धारधार हथियारों से लैस हो रामआसरे के घर की तरफ बढ़ने लगे । कुछ ही क्षणों में हुजूम का हुजूम इकठ्ठा हो चुका था , सब गुस्से में थे । अचानक मौलवी ने चीख कर कहा ” मारो इसे इसने पाक क़ुरआन की बेअदबी की है ”

बस फिर क्या था , सब रामआसरे पर टूट पड़े कुछ लोग घर में घुस गए उन्होंने बच्चों और बाकी सभी घर के लोगो को मारना पीटना शुरू कर दिया । चारो तरफ चीख पुकार मच गई , लोगो की भीड़ ने 80 साल की रामआसरे की माँ को भी नहीं छोड़ा और उसके सर में लाठी मार दी  कुछ देर तड़पने के बाद उसने दम तोड़ दिया । भीड़ में से एक दाढ़ी वाला आदमी निकला और उसने सोनम को उठा लिया और बहार आ गया , सोनम रोती और चीखती रही पर किसी ने भी उसको नहीं बचाया वह आदमी सोनम को उठाये भीड़ में गायब हो गया । मारने पीटने के बाद घर को आग लगा दिया गया । इधर रामआसरे भी पिटाई के बाद अधिक खून बहने के कारण मर चूका था पर अंधी भीड़ अब भी उसपर लात घुसे बरसा रही थी। प्यारे लाल का परिवार पहले ही घर छोड़ के भाग चुका था ।

कुछ दिन बाद रामआसरे के खेतो पर बुन्दू खान का कब्ज़ा हो चुका था , सोनम मौलवी के पास पहुंचा दी गई थी और जावेद अली रामआसरे के बचे हुए घर पर अपना कब्ज़ा जमा चुका था।

-केशव

 

 

संजय कुमार (केशव)

नास्तिक .... क्या यह परिचय काफी नहीं है?

One thought on “कहानी सोनम की

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    दर्दनाक कहानी

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