ठिठुरती गीतिका
सबको मुबारक सुबह का उजाला।
ठिठुरन भरा दिन यहाँ पर निकाला ।
अभी सांझ की सरसराती हवा है ,
हमारे यहाँ का चलन है निराला ।।
घिरा है यहाँ पर अँधेरे में सूरज,
रजाई से मुँह तक न बाहर निकाला ।।
बरसता रहा सारे दिन आज पानी
बच्चों की मस्ती का निकला दिवाला ।।
हरी घास पर सूखे पत्तों का डेरा,
न जाने सुबह कल भी होगा उजाला ।।
_____ लता यादव
sunder, bahot hi sunder