कविता
जानते हो
मैं इतना क्यों लिखती हूँ?
कि कभी तुम्हें मेरी याद आये
तो मुझे ढूँढने में
ज्यादा परेशानी ना हो…
गूगल करो और बस
तुम हमेशा मुझे
खो देते हो ना
इसलिए….
देखो ना
जमाने की भीड़ में
कैसी खो गयी हूँ,
ढूँढने को
इतने तरीके हैं पर ..
अभी तक ऐसा
सर्च इंजन नहीं बना
जो तलाश सके
तुम्हारे दिल के सारे
तहखाने..
मेरे सुकून को
रात के किसी
अनजाने पहर में
तुम ही तो
मेरा यथार्थ हो ना.
एक बात तो बताओ
तुम्हें मैं याद हूँ क्या?
….रितु शर्मा….