हास्य व्यंग्य

कैंपस

भारतीय, अमेरिकन और पाकिस्तानी औरतें आपस में बतिया रहीं थीं

भारतीय – मेरे बेटे ने आईआईएम एन्ट्रेंस निकाल लिया, पाँच लाख रुपये महीने की नौकरी मिलेगी

अमेरिकन – वॉओ नाइस, माई सन ऑल्सो क्रैक्ड हिज मेडिकल प्री-टेस्ट……

पाकिस्तानी से रहा न गया। चिढ़ के बोली

“अमाँ खामोश रहिए आपदोनों, हमारे शौहर की भी लश्करे तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद से बात चल रही है, किसी एक में तो हो ही जाएगा मेरे लड़के का……”

*कुमार गौरव अजीतेन्दु

शिक्षा - स्नातक, कार्यक्षेत्र - स्वतंत्र लेखन, साहित्य लिखने-पढने में रुचि, एक एकल हाइकु संकलन "मुक्त उड़ान", चार संयुक्त कविता संकलन "पावनी, त्रिसुगंधि, काव्यशाला व काव्यसुगंध" तथा एक संयुक्त लघुकथा संकलन "सृजन सागर" प्रकाशित, इसके अलावा नियमित रूप से विभिन्न प्रिंट और अंतरजाल पत्र-पत्रिकाओंपर रचनाओं का प्रकाशन

2 thoughts on “कैंपस

  • प्रीति दक्ष

    ha ha ha

  • विजय कुमार सिंघल

    यह वेबसाइट गम्भीर रचनाओं के लिए है। हास्य-व्यंग्य का स्वागत है. पर कृपया चुटकुले न लगायें।

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