कविता

कविता : प्यार है ये व्यापार नहीं

प्यार है ये व्यापार नहीं
प्यार के बदले
प्यार की चाह
बेमायने थी ये
दिल की राह ,
नासमझ थी
न समझ पायी
प्यार है ये
व्यापार नहीं ,
पर अब जो आई है
बात समझ मे
तो रूह को आराम आया ,
सारे एहसास
सारी तड़प
सिमट गयी है
तुझे प्यार देने की
चाह में…