गीत/नवगीत

कुछ दवा कर दो…

कुछ दवा कर दो, कि दर्द -ए- दिल बहुत बढने लगा।
शहर का हर शख्स, चेहरे पर तुम्हें पढने लगा॥

कोशिशे करता हूं, तुमको भूल जाऊं।
याद ना तुमको करूं, ना याद आऊं॥
पर ये दिल सपनें कई, गढ़ने लगा….
शहर का हर शख्स, चेहरे पर तुम्हें पढने लगा….

हर जतन करता हूं, भावों को छुपा लूं
चाहतों के शोर को, दिल में दबा लूं॥
पर दबाया जितना, ये बढ़नें लगा….
शहर का हर शख्स, चेहरे पर तुम्हें पढने लगा…..

आईना कहने लगा, मुझसे यूं हंसकर।
गुम गये जानें कहां, आंखों मे बसकर॥
ये नशा कैसा तुम्हे चढ़ने लगा….
शहर का हर शख्स, चेहरे पर तुम्हें पढने लगा…….

सोचता हूं रोज दिल की बात, तुम से बोल दूं।
जल रहा किस आग में, वो भेद सारा खोल दूं॥
तुमको पाने की तमन्ना में, दिल के सर मढ़ने लगा…..
शहर का हर शख्स, चेहरे पर तुम्हें पढने लगा……

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.