गीत/नवगीत

जब से उनका आना जाना हो गया…

जब से उनका आना जाना हो गया, घर मेरे रब का ठिकाना हो गया।
चाहतें नवरंग में सजने लगी, दिल में खुशियों का खजाना हो गया॥

पल रही हैं पतझरों में कोपले, ले नयी खुशबु नये से गुल खिले।
खुशनुमा मौसम का अब अहसास है, धडकनों से धडकनों के स्वर मिले॥
मुस्कुराने का बहाना हो गया…..
दिल में खुशियों का खज़ाना हो गया…

रोशनी खिलने लगी बिन दीप के, मोती जूं मिलने लगे बिन सीप के।
प्रीत की लहरों से मन मुस्का उठा, सपने नव सजने लगे मन मीत के॥
प्रेम के संगम नहाना हो गया……
दिल में खुशियों का खज़ाना हो गया…

चैन की बंसी बजाती है हवा, मिल गयी हर दर्द को जैसे दवा।
गंगाजल सा हो गया पावन ये मन, और तन मेरा शिवाला हो गया॥
ये जहां जैसे सुहाना हो गया….
दिल में खुशियों का खज़ाना हो गया…

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.