आतंकवाद
आज आतंकवाद संपूर्ण विश्व के लिए चुनौती है क्षीण मानसिकता के कीट पतंगा का भयानक ज्वर का इलाज संगठितशक्तिपूर्वक करना चाहिए . ऐसे नर पिशाच को पनाह देना समर्थन करना नितांत ग़लत है ,आज पाक उसी डूश परिणाम की ओर बढ़ रहा है-
हे आतंकवाद के प्यादे
इतना क्यों हरसाते है.
तेरी अब मौत आई है.
तुझे भी खीच लाई है.
कैसा तू मूरख अंजान
ये दुनिया बहुत बड़ी है.
अजी तेरी मौत खड़ी है
दशहत गर्द बनकर तूने
बहुत ही खून बहाया है.
माँ की ममता को भूल गया
माटी का कदर न भाया
हेर -फेर के नुक्कत मे,
खुद की नाव डूबा डाला
बहुत ही खून बहाया है
सत्य असत्य का भेद न जाना
मन उल्टा पहना पयज़ामा.
कितने निष्ठुर मिले अनाड़ी
खैराती मज़हब के खिलाड़ी .
माइन्ड वास करना अब छोड़ो
मूरख मानस के- हे संपाती .
देशभक्तों आगे मूरख
तू है एक पतंगा. तेरी औकात क्या है
जो लेगा उनसे तू पंगा
करेंगे तुमको जहाँ मे नंगा .
चढ़ोगे सूली पर तुम,
लगोगे मूली सा तुम. तेरी औकात क्या है ?
मूरख तू नाली कीड़ा
कहाँ ये पाया बीड़ा,
रेंग कर मारना तुझको,
सोच लो मूरख मन को तेरी औकात क्या है ?
— राजकिशोर मिश्र ‘राज’