बुजुर्गो के प्रति संवेदन हीनता
बुजुर्गो के प्रति संवेदन हीनता वास्तव में एक विचारणीय विषय है और साथ साथ बड़ो के प्रति आज की युवा पीढ़ी का बर्ताव चिंता का विषय बनता जा रहा है. यहाँ तक की अनुशासन हीनता देखने को मिल रही है, इस बात से इंकार नहीं की जो आज के बुजुर्गो ने वह सब नहीं देखा जो आज सब विज्ञानं की वजह से आजकल के बच्चे देख रहे है, इस वैज्ञानिक परिवर्तन का, जो मानव सुख सुविधा में उपयोगी है, हम सब स्वागत करते हैं, इन सुविधाओं में सबसे पहले आज “मोबाइल/कंप्यूटर युग” छाया हुआ है, और इस बात से भी इंकार नहीं की आज के बच्चे और युवा इन उपकरणों का जिस अंदाज़ में और जिस रफ़्तार में उपयोग करते हैं वह शायद बुजुर्गो के बस की बात नहीं है, और इस उपलब्धि के बदले वह बड़ो को ‘छोटा‘ समझने लगते हैं, विज्ञानं की प्रगति जीवन शैली में सुधार का प्रतीक है, और यह परिवर्तन सराहनीय है, परन्तु यदि इन सब का उपभोग अनुशासन में रह कर किया जाये तभी सराहनीय है.
परिवर्तन प्रकृति का नियम है, मौसम सदा एक सा नहीं रहता, कभी बसंत कभी पतझड़ ,लेकिन प्रकृति का हर परिवर्तन अनुशासित है, प्रकृति अपना हर काम नियत समयानुसार ही करती है, और सबसे सर्वश्रेष्ठ अनुशासन सूरज, चाँद और ग्रहो की गति में देखने को मिलता है, यह कभी भी अपने इस अनुशासन से विचलित नहीं होते, परिवर्तन को अपनाना और अनुशासन में रहना बच्चो को प्रकृति से सीखना चाहिए.
बुजुर्गो के प्रति संवेदन हीनता का एक और मुख्य कारन है की आज की युवा पीढ़ी संस्कारो , रीति रिवाज़ों से दूर भाग रही है और पाश्चात्य रंग में रंगी हुई है, अपने सनातनी त्योहारों, विवाह, जन्मदिन को भी आज की युवा पीढ़ी अपने निराले ढंग से मना रही है, बुजुर्गो के संस्कारी विचरो को दक़ियानूसी कहा जारहा है.इसी विचार धरा के चलते संयुक्त परिवार टूट रहें हैं और यह भी एक मुख्य कारन है की अनुशासन हीनता बढ़ती जा रही है.
और मैं यह भी कहना चाहूँगा की आज जो सिनेमा और टेलीविजन पर दिखाया जा रहा है, उसका भी आज की युवा पीढ़ी की विचारधारा दूषित करने में पूरा हाथ है, चाहे आज का सिनेमा हो या कोई टीवी सीरियल, ऐसा कुछ नहीं है जो बच्चो में सकारात्मक सोच को जन्म दे. आदर्शवादी फिल्मो, नाटको का युग बीत चूका है,
फिर भी अंत में मैं यही कहना चाहूँगा की परिवर्तन प्रकृति का नियम है, और इतिहास अपने को दोहराएगा. आज की युवा पीढ़ी बुजुर्गो के प्रति संवेदनशील होगी, वह युग फिर से आएगा.
जय प्रकाश भाटिया,