ग़ज़ल
लुटा दिए आमिर, शाहरुख पर हमने अपने कोष
फिर भी उनके दिल में जागा हम सबके प्रति रोष
जिनको पलकों पर बैठाया वही गालियाँ देते हैं
समय आ गया है अब सोचो किसका कितना दोष
असहिष्णुता जिनको देश में दिखती है हर ओर
वो सेक्युलर क्यों हैं फ्रांस के हमलों पर खामोश
मुठ्ठी भर आतंकी आकर हमको आँख दिखाते हैं
महाराणा की संतानों सो गया कहां तुम्हारा जोश
भगत, सुभाष के सपनों के भारत का है बुरा हाल
महिमामंडित हैं अपराधी, मर रहे हैं निर्दोष
कहती है वीरांगना सैनिक बनेंगे दोनों बच्चे
तो क्या हुआ शहीद हो गए पति कर्नल संतोष
नायक, खलनायक में अब तो अंतर करना सीखो
जागो भारतवासियो कब तक रहोगे तुम बेहोश
— भरत मल्होत्रा।