तुम्हारी याद …..
पूनम की चाँद,
तुम मुझे शीतलता प्रदान करके।
कहाँ चली गई।
मुझे बीच में याद दिलाकर
कहाँ चली गई।
मैं अभी जिन्दगी की राह में,
खड़ा हूँ तेरे इन्तजार में।
आ जाओ ख्वाबों में मुलाकातों में
एक बार फिर!
तुम्हारे प्यार में इन्तजार करकें,
एक पल बिताना चाहता हूँ।
एक दूसरे के बाहों के आगोश में,
तुम्हारी यादों में,
जब मैं खो जाता हूँ,
तो तुम मुझे,
दिखाई देती हो,
चाँदनी रातों में।
झिलमिल तारों के बीच में,
कभी पूरा तो कभी आधा,
तो कभी टुकड़ों में,
दिखाई देती हो।
उसी बीच में,
चाँदनी किरणों के सहारे,
अपने बिते पलों को,
उकेरने लगता हूँ।
खो जाता हूँ,
पूनम की चाँद,
तुम्हारी यादों में।
@रमेश कुमार सिंह /०२-११-२०१५
सुंदर रचना
सादर धन्यवाद!!