सास-ससुर हैं बूढा-बूढी, प्यारे प्यारे MOM-DAD हैं
सास-ससुर हैं बूढा-बूढी, प्यारे प्यारे MOM -DAD हैं
जबसे मैं आ गई वहाँ से दोनों लगते SAD-SAD हैं
जब तक ब्याह न हो पाया था
मुझको मैका काट रहा था
और न रिश्ता हो पाने पर
घर भर मुझको डाँट रहा था
पर शादी के बाद तज़रबे मेरे सारे BAD- BAD हैं
सास-ससुर हैं बूढा-बूढी, प्यारे प्यारे MOM-DAD हैं
अज़ब मिली ससुराल मुझे है
ज़ब देखो मेहमान जमे हैं
रात के बारह बज़ने पर भी
आने वाले नही थमे हैं
और जितने मिलने वाले सब लगते मुझको MAD-MAD हैं
सास-ससुर हैं बूढा-बूढी, प्यारे प्यारे MOM-DAD हैं
मुझको लगता बहुत जल्द ही
होगा यहां बड़ा आंदोलन
महिला मुक्ति मोर्चा वालो
का भी होगा पूर्ण समर्थन
अंदर होगा कुनबा सारा यही सोच हम GLAD-GLAD हैं
सास-ससुर हैं बूढा-बूढी, प्यारे प्यारे MOM-DAD हैं
— मनोज श्रीवास्तव
bahut badiya
मनोज भाई बहोत सुदंर
करारा व्यंग्य ! पढ़कर मजा आ गया !!
हा हा , बहुत अछे .