हरियाली दिखने लगी
ठण्डी – ठण्डी वो हवा बहीं
तन – मन मेरा सिहर उठा।
गरजन – तड़पन के साथ बहीं,
नभ में बादल उमड़ उठा।
हवा ने नभ से बात कही,
पानी की बुन्द बनकर साथ निभा।
साथ-साथ करेंगे विचरण कहीं,
जीवों के उपर कुछ कर जा।
बादल पानी बनकर टपकने लगा।
हवा के साथ बहने लगा।
मिलकर सर्वत्र पहुचने लगा।
सभी जीवों में घुलने -मिलने लगा।
जीवों में खुशियाँ उमड़ने लगी।
चिड़िया आपस में चहकने लगी।
कृषक के मन में खुशी छलकने लगी।
धरा पर हरियाली दिखने लगी।
@रमेश कुमार सिंह /०१-०९-२०१५