ग़ज़ल
कभी गुज़रे हुए दुःख दर्द को तुम याद मत करना।
ख़ुशी के वक़्त को भी बेवज़ह बर्बाद मत करना।
मुसलमां और हिन्दू को लड़ाने की वज़ह हैं ये
मियां ये नागफनियाँ हैं इन्हें आबाद मत करना।
बड़े मीठे बड़े खट्टे मिलन के पल सनम देखो
विरह का ज़िक्र करके तुम इन्हें बेस्वाद मत करना।
सुकूँ मुझको बहुत है प्यार की इस क़ैद में जानम
मुझे दिल के झरोखे से कभी आज़ाद मत करना।
बुढ़ापे के लिए बस एक ही उम्मीद होती है
किसी को ऐ ख़ुदाई पाक बेऔलाद मत करना।