अगर पाण्डव पक्ष में, आगे आये स्वार्थ। धर्मयुद्ध में देखना, हार न जाएं पार्थ।।
Author: प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'
हाँ मैं भी चौकीदार हूँ
देशद्रोह की आवाजों का मैं पहला प्रतिकार हूँ कायर आतंकी सीने पर अभिनंदन सा वार हूँ अगर देश पर खतरा हो मर मिटने को तैयार हूँ सीना ठोक के कहता हूं हाँ मैं भी चौकीदार हूँ डटे हुए हैं सीमाओं पर जो सपूत सीना ताने लक्ष्य परम् वैभव है जिनका बाधाएँ वो क्या जाने माटी […]
खून उबलता है
लावा जैसे ग़र ये दर्द पिघलता हैपलकों से कब इतना बोझ सँभलता है तब-तब सब्र टूटने पर मजबूर हुआ जब-जब पानी सर के पार निकलता है सर्दी गर्मी बारिश लाख सितम कर लें मौसम है मौसम यक रोज बदलता है ख़ुद्दारी पर कोई चोट अगर मारे कुछ भी कह लो लेकिन खून उबलता […]
तिमिर उत्सव मनाने आ गया
छा गयी बदली ज़रा सी सूर्य थोड़ा छुप गयाऔर इतने में तिमिर उत्सव मनाने आ गया कौन अब कह दे कि उथला कृत्य है येकालिमा का अल्पजीवी नृत्य है येभ्रम क्षणिक है टूटना ही है इसे तोझूठ को मिटना पड़ेगा सत्य है ये! मिट गया हर बार फिर से आज़माने आ गया है भले खुश […]
बंदिश कड़ी है
इस तरफ़ यक झोपड़ी उल्टी पड़ी है उस तरफ़ दसमंजिला अब तक खड़ी है इसलिये तूफ़ान ने बदला है रुख अब रईसों की इधर बस्ती बड़ी है साहिबों के फैसले सारे सही हैं मुफ़लिसों की किस्मतों में गड़बड़ी है हक़ है शेरों को कि वो कानून तोड़ें मेमनों पर ही यहाँ बंदिश कड़ी है वो बदल सकते हैं मंज़र […]
मुक्तक
चिंतन स्वयं से मुग्धता में और की कविता न भाती है महाकवि हैं कथित उनको न औरों की सुहाती है प्रतिस्पर्धा कलुष से हो रहित तो ही फलित होती अहमहमिका सदा कविमंच को नीचे गिराती है
ग़ज़ल
एक रिश्ता तबाह कर डाला हाय ये क्या गुनाह कर डाला लब पे पहले हँसी तुम्हीं ने दी फिर तुम्हीं ने कराह कर डाला आशनाई में जान पे आयी काम ये ख़ामख़ाह कर डाला शेर की रूह तक नहीं पहुँचे बेवज़ह वाह- वाह कर डाला मौत से अब न ख़ौफ़ है जबसे क़ब्र को ख़्वाबगाह […]
अछूत वो जो बेटियों से बलात्कार करें
ख़ुदा का हुक़्म है एक दूसरे से प्यार करें बड़ी हो जाति तो उसपे न अहंकार करें अछूत जाति से कोई नहीं हुआ करता अछूत वो जो बेटियों से बलात्कार करें
मुक्तक
तुम्हे सूरज के आगे सर झुकाना ही पड़ेगा विजय चिर चाहते तो हार जाना ही पड़ेगा कहाँ तक जाओगे आगे अँधेरा ही अँधेरा ये दावा है कि इक दिन लौट आना ही पड़ेगा -प्रवीण ‘प्रसून’
होली
न या पिचकारी न वा पिचकारी होली म अबकी चलइबे दुधारी खाली तिजोरी पीएनबी की करिगें सगल बोझ मोदी के काँधें म धरिगें सफाई के अभियान के बनिगें अगुवा रंगारंग खुद होइके नीरव निकरिगें बड़े बोल वालेन की बोली न निकरै गले मा फँसी है य हड्डी उधारी होली म अबकी चलइबे दुधारी… मिले एक […]