गीतिका/ग़ज़ल

आखिरी बार

अब तो आ जाओ इक बार
शायद ये ही हो आखिरी बार

लहू टपक रहा ज़र्द आंखों से
इंतज़ार ये हो आखिरी बार

सिल गयी है ज़ुबां लब खामोश
पुकार ये हो आखिरी बार

नज़रें टिकी हैं देहरी पर मेरी
कोई आहट हो आखिरी बार

खुश्बु से सराबोर आंगन मेरा
महका हरसिंगार हो आखिरी बार

सूखे अधरों से झांकती-सी ये
मुस्कुराहट हो आखिरी बार

कांपती उंगलियां सूखी रेत पर
उकेरती कुछ हो आखिरी बार

मैं कह न सकी जो बात कभी
कहनी मुझे हो आखिरी बार…

शिवानी जैन शर्मा

शिवानी शर्मा

नाम-शिवानी शिक्षा--B.Com. MBA. & Montessori diploma. जन्मदिन- 6 मार्च स्थान- जयपुर (राजस्थान) रूचि--लिखना,पढना,संगीत सुनना ,बाते करना ,घूमना और बच्चों के साथ खेलना। परिचय -झीलों की नगरी उदयपुर में जन्म लिया और बचपन बिताया ! पहले पिताजी की और फिर पति महोदय की नौकरी ने कई शहरों में - उदयपुर, अलवर,जयपुर, बांसवाड़ा, इन्दौर और अभी अजमेर, प्रवास के सुअवसर प्रदान किये। 1990 से आकाशवाणी से जुड़ी रही हूं जहाँ मेरे लिखने और बोलते रहने का शौक पूरा होता रहा है। अब दूरदर्शन से भी जुड़ गयी हूं और काव्य गोष्ठियों का हिस्सा बन रही हूं। अच्छा साहित्य पढ़ने के शौक ने छात्र जीवन में ही हाथ मे कलम थमा दी थी और अभी भी सीख रही हूं मन की बात कहना! विभिन्‍न पत्र पत्रिकाओं में मेरी रचनाओं को स्थान मिल रहा है जिनमें "राजस्थान पत्रिका " दैनिक भास्कर व "अटूट बंधन " "मंडी टुडे" "सारा सच" "लोक जंग" आदि भी शामिल हैं । कुछ काव्य संग्रहों का संपादन, मंच संचालन भी कार्यानुभव में शामिल है। "अजमेर पोएट्स कलेक्टिव" संस्था की सह-संस्थापक भी हूं। "साहित्य गौरव" सम्मान से सम्मानित जो भी मिला है जीवन से,समाज से,उसमें अपने अनुभव और एहसास पिरो कर वापस कर देती है मेरी कलम , जिसे आप कविता/कहानी कहते हैं। ........ शिवानी जैन शर्मा