आखिरी बार
अब तो आ जाओ इक बार
शायद ये ही हो आखिरी बार
लहू टपक रहा ज़र्द आंखों से
इंतज़ार ये हो आखिरी बार
सिल गयी है ज़ुबां लब खामोश
पुकार ये हो आखिरी बार
नज़रें टिकी हैं देहरी पर मेरी
कोई आहट हो आखिरी बार
खुश्बु से सराबोर आंगन मेरा
महका हरसिंगार हो आखिरी बार
सूखे अधरों से झांकती-सी ये
मुस्कुराहट हो आखिरी बार
कांपती उंगलियां सूखी रेत पर
उकेरती कुछ हो आखिरी बार
मैं कह न सकी जो बात कभी
कहनी मुझे हो आखिरी बार…
—शिवानी जैन शर्मा