न्यायालय का फ़ैसला
कैसा उच्च न्यायालय का फैसला आया आज
मानेगा अब कौन यहां पर है कानून का राज
खंडित हुई है आस्था और बिखर गया विश्वास
भैंस चरा के ले गया लाठी थी जिसके पास
किसी मुकद्दमे की किस्मत में सालों का इंतज़ार
और किसी का फैसला आने में लगते दिन चार
पद, ताकत, प्रसिद्धि को नहीं किसी का भय
बोलो मिलकर मेरे साथ सब रूपया देव की जय
भरी सभा में हो गया देखो द्रोपदी चीरहरण
फिर से रावण ने किया सीता माता का अपहरण
समाज के ठेकेदारो चुल्लू भर पानी में डूब मरो
न्याय नहीं दे सकते तो फिर ये नौटंकी बंद करो
वंचितों और गरीबों की कौन सुनेगा चीख यहां
लड़कर लेना होगा हक नहीं मिलेगी भीख यहां
अब भी वक्त है संभल जाओ बंद करो मनमानी
जनता भड़क उठी तो फिर तुम माँगोगे ना पानी
जाग गए ये शोषित तो सत्ता की नींव हिला देंगे
इस सड़ी हुई व्यवस्था की तब ईंट से ईंट बजा देंगे
— भरत मल्होत्रा