हास्य व्यंग्य

प्रभु की चिंता

” नारायण नारायण …प्रणाम प्रभु” पौराणिक कथाओ में वर्णित तरीके से देवऋषि नारद ने प्रभु के सामने झुक के प्रणाम करते हुए कहा ।

” प्रणाम मुनिवर …” प्रभु ने गहरी सांस लेते हुए कहा

नारद जी ने प्रभु के मुख पर छाई चिंता की लकीरो को गौर से देखते हुए कहा –

” प्रभु, क्या कोई गंभीर बात है ?

” नहीं, मुनिवर ऐसा कुछ नहीं है ” प्रभु ने नारद मुनि से नजरे घुमाते हुए कहा ।

” नारायण … नारायण … प्रभु इस ब्रह्माण्ड का सारी खबरों का जिम्मा मेरा है या यूँ कहें की इस ब्रह्माण्ड  का मैं सबसे बड़ा पत्रकार और ख़ुफ़िया जानकारी रखने वाला हूँ .. मुझ से कोई बात छुप नहीं सकती प्रभु … पर मैं चाहता हूँ की आप अपने मुख से अपनी चिंता  का कारण बताएं तो निश्चित ही उसका समाधान कर सकता हूँ ” नारद मुनि ने आत्मविश्वास से कहा ।

प्रभु ने एक क्षण सोचा और फिर एक ठंडी आह भर के नारद मुनि के कंधो पर हाथ रखते हुए कहा –

“मुनिवर मुझे भलीभांति ज्ञात है की आप से कोई बात नहीं छुप सकती क्यों की आपके जासूस कोने कोने में फैले हैं ,बिलकुल ‘अंग्रेजो के ज़माने के जेलर की तरह । आप ही हैं जिन्होंने सबसे पहले इधर की खबरे उधर की और देवलोक में ‘दूरदर्शन ‘ चैनल स्थापित किया । आप  खबरीलालो के गुरु हैं ,परन्तु बात यह है की मृत्युलोक पर हमारे प्रिय प्रतिनिधि  ने जापान जैसे नास्तिक देश से  लगभग एक लाख करोड़ रूपये इस लिए कर्ज लिए हैं  ताकि ‘ विश्वगुरु’ कहे जाने वाले हमारी जन्मभूमि  भारत में ” बुलेट ट्रेन’ चला सके ।

मुनिवर, है न यह हमारे लिए लज्जा का विषय?….. हमारे द्वारा लिखवाये गए जिन वेद पुराणों को पढ़ के अंग्रेज और विदेशी आधुनिक अविष्कार करने में लगे है वहीँ ये भारतवासी हजारो सालो से वेदों को पढ़ के भी अविष्कार में फिसड्डी रहें और एक साईकिल तक का अविष्कार नहीं कर पाये … आह!! कितना दुःख होता है मुझे मुनिवर … असहनीय  दुःख …और अब यह बुलेट ट्रेन की भिक्षा मागना .. मुझे कष्टो के सागर में डूबा दे रहा है …आह!!”   इतना कह प्रभु शून्य की तरफ देखने लगे ।

प्रभु को यूँ चिंतित और पीड़ा से तड़पते देख नारद जी मुस्कुराते हुए बोले-

“प्रभु… आप नाहक ही यूँ चिंतित हो रहें है … अभी पिक्चर बाकी है ”

नारद जी की बात सुन और उन्हें अर्थपूर्ण मुस्कुराते हुए देख प्रभु ने आस्चर्य से पूछा –

“पिक्चर!कैसी पिक्चर बाकी है मुनिवर? यूँ पहेलियाँ न बुझाइए … साफ़ साफ़ कहिये ”

“आइये मेरे साथ ‘नारद जी ने प्रभु का हाथ पकड़ा और अपने साथ ले चले ।

नारद जी प्रभु कोअपने न्यूज चैनल के दफ्तर ले गए ,वंहा अपने  कक्ष में ले जाके प्रभु को बैठा दिया और टीवी चालु कर दिया । आश्चर्यचकित प्रभु सब कुछ देख रहे थे ।

टीवी पर नारद जी ने अपना ही न्यूज चैनल लगाया , उसमें एक अप्सरा न्यूज बांच रही थी उसने एक क्लिपिंग दिखाई ।

क्लिपिंग देख कर प्रभु के चेहरे पर ख़ुशी की लहार दौडगई । वे नारद से बोल उठे

” अतिउत्तम …अतिउत्तम.. मुनिवर… अतिउत्तम”

नारद ने गर्व भरी मुस्कान लाते हुए कहा – प्रभु ! बेशक हमारे प्रिय प्रतिनिधि ने बुलेट ट्रेन चलाने के लिए टेक्नोलॉजी और पैसा जापान से लिया है पर जापन को गंगा मैया की आरती भी करवा दी…देखा अपने पट्ठे का कमाल … यूँ ही हमें विश्वगुरु नहीं कहा जाता …हा हा हा ”

प्रभु ख़ुशी में उठ खड़े हुए और बोले … हर हर बोदी …. हर हर बोदी …

केशव

संजय कुमार (केशव)

नास्तिक .... क्या यह परिचय काफी नहीं है?