दिल कहीं भी क्यों पटक आता है
दिल कहीं भी क्यों पटक आता है
मन भी कहाँ कहाँ भटक जाता है ||१
दिल जीतकर ज़माने का ये फिर
न जाने क्या क्या झटक जाता है ||२
हंसाता भी है रुलाता भी है दिल
किसी के पास जा मटक जाता है ||३
पंछी बैठे प्यार के जब डाल पर
ज़माने को बहुत खटक जाता है ||४
हसीं चेहरा खूबसूरत अदाये देख
न जाने क्यों ये अटक जाता है ||५
— दिनेश