इन गुलाबी कोपलों को, मुस्कुराने दीजिये..
इन गुलाबी कोपलों को, मुस्कुराने दीजिये।
धडकनों को आरजू का, गीत गाने दीजिये॥
खिलते फूलों का है मौसम, खिलने दो अरमान भी।
गुनगुनानें दो वफा को, प्रेम के नव गान भी॥
चाहतों को चाहतों से स्वर मिलाने दीजिये…
धडकनों को आरजू का, गीत गाने दीजिये…
छू के फूलों का बदन, गुज़री हवा मदमस्त सी।
तितलियां अनुराग करती, लग रही हैं व्यस्त सी॥
कलियों को भंवरों के वादे, आजमाने दीजिये….
धडकनों को आरजू का, गीत गाने दीजिये…
रूप और यौवन लिये, मगरूर सी है हर लता।
हर जवां दिल लिख रहा है, दिल पे इनका ही पता॥
हम को भी तो ईश्क की, गलियों में आने दीजिये…..
धडकनों को आरजू का, गीत गाने दीजिये…
जानें क्यूं रुक सी गयी है, देखकर तुमको बहार।
लिख रही है सब गुलों की,पातियों पर प्यार प्यार॥
पहलू में अपने हमें, एक बार आने दीजिये…
धडकनों को आरजू का, गीत गाने दीजिये…
सतीश बंसल