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आईना बोलता हैै

सैन्टाक्लॉज़ ‘ प्रभु ‘ का क्रिसमस तोहफा :

25 दिसम्बर से मँहगा होगा तत्काल का टिकट।

क्यों, भाई क्यों ? 14.5% किराया बढ़ा दिया, 2% विकास कर लगा दिया, 2% स्वच्छता कर लगा दिया, तत्काल का टिकट कैंसिल करने पर पूरा पैसा हजम कर लिया, कन्फर्म्ड टिकट कैंसिलेशन पर 30% से 50% तक की कटौती चेप दी, यहाँ तक की वेटिंग लिस्ट टिकट को भी, कैंसिल करने या कंफर्म न होने पर क्लेरिकेज का दण्ड लगा दिया, फिर भी लगता है श्री सुरेश प्रभु का पेट नहीं भरा है।

वे ‘मन की बात ‘ भी तो नहीं करते कि पता लग सके कि उनके दिमाग़ में क्या कुलबुला रहा है। फिर, उन्हे रेल किराया घटने बढ़ने का फर्क भी तो नहीं पड़ता क्योंकि उन्हे या उनके परिवार को टिकट लेना ही नहीं पड़ता । इसीलिये, रेल मंत्रालय के बाबुओं की आँख बन्द कर के मान लेते हैं। यह भी नहीं देखते कि मौका कैसा है।

हमारी उनसे बस यही गुज़ारिश है कि वे यदि अच्छे दिन नहीं ला सकते (एक महान चुनावी जुमला) तो कम से कम हमारे दिनों को ओर खराब तो न करें !

मनोज पाण्डेय 'होश'

फैजाबाद में जन्मे । पढ़ाई आदि के लिये कानपुर तक दौड़ लगायी। एक 'ऐं वैं' की डिग्री अर्थ शास्त्र में और एक बचकानी डिग्री विधि में बमुश्किल हासिल की। पहले रक्षा मंत्रालय और फिर पंजाब नैशनल बैंक में अपने उच्चाधिकारियों को दुःखी करने के बाद 'साठा तो पाठा' की कहावत चरितार्थ करते हुए जब जरा चाकरी का सलीका आया तो निकाल बाहर कर दिये गये, अर्थात सेवा से बइज़्ज़त बरी कर दिये गये। अभिव्यक्ति के नित नये प्रयोग करना अपना शौक है जिसके चलते 'अंट-शंट' लेखन में महारत प्राप्त कर सका हूँ।