चाँद का विवाह
चाँद से ब्याह रचाने को आया एक पैगाम,
खुशी से चाँद झूमने लगा पूरा हुआ अरमान।
शर्ट और पतलून पहनकर हो गया तैयार,
टाई लगाकर दूल्हे राजा चला उसके द्वार।
चाँद का रौशन चेहरा सबको आया बहुत पसंद,
शुभ मुहूर्त दिखाने वास्ते पंडित बुलाया तुरंत।
एक टीकाधारी पंडित आया बोला निकालकर पतरा,
अमावस्या शुभ मुहूर्त है आगे फिर है खतारा।
शादी का निमंत्रण चाँद देने गया घर-घर,
चारो ओर उसकी शादी का फैल गया खबर।
अमावस्या के दिन चाँद का चल दिया बारात,
हाथी-घोड़े, साज-बाज और ढोल-नगाड़े साथ।
बरातियों को देख सभी ने दूल्हे का लिया खबर,
पर दूल्हा ही गायब था कहीं नहीं आया नजर।
दूल्हा को नहीं पाकर सब हो गया हैरान,
अरे आज तो अमावस है चाँद का है विश्राम।
ये सुनकर सब लोग बहुत ही हो गये उदास,
चाँद का विवाह न हुआ लौट आयी बारात।
-दीपिका कुमारी दीप्ति