कविता
कल तुम्हारी यादे बीमार हो गयी
ना जाने कैसे ……
ठंड की चपेट में आ गयी
उफ्फ्फ्फ़
बुखार की मानिंद तेज़ तपती जा रही थी
चाँद की चांदनी से माथा छुआ
हर एक पल दिलासे की बूंद मुँह में डालती रही
एहसास दिलाती रही साथ होने , पास होने का
और
यादे कराहती रही
थक कर पो फटते ही उन्हें नींद आ गयी
और
वो बेदम होकर मुझमे खो गयी !!
— डॉली अग्रवाल