कुछ प्रेम लिख कुछ प्रीत लिख…
कुछ प्रेम लिख कुछ प्रीत लिख
अनुराग की नव रीत लिख।
इन धडकनों के स्वर के संग
मनमीत मन का गीत लिख॥
कुछ झुकते नयनो की अदा
कुछ इन लबों की मयकदा।
कुछ बिदिंया चमकार लिख
कुछ रूप का श्रंगार लिख॥
लिख उडते आंचल को हवा
जुल्फों को लिख काली घटा।
अंगडाई को बिजली लिखो
मुस्कान कलियों की छटा॥
पायल को रुमझुम साज लिख
नखरे भी लिख कुछ नाज लिख।
नथिनी को लिख मीठी कसक
दिलकश है हर अंदाज़ लिख॥
वाणी को वीणा तान लिख
इस सादगी को जान लिख।
हर अंग को लिख दो रति
नारीत्व को सम्मान लिख॥
इस सोच को दृष्टा लिखो
इस गोद को श्रृष्टा लिखो।
कुछ और लिखो न लिखो
इतना करो बस मां लिखो॥
सतीश बंसल