गीतिका/ग़ज़ल

बात सच की कह के अपनी ज़िन्दगी से घात न कर

बात सच की कह के अपनी ज़िन्दगी से घात न कर।
ये नकाबों का शहर है आईनों की बात न कर॥

देख मत कुछ सुन भी मत होता है जो जो जाने दे।
ये अंधेरों का शहर है रोशनी की बात न कर॥

काबू रख ज़जबात अपने सुन न ले कोई कहीं।
पत्थरों के इस शहर में धडकनों की बात न कर॥

खार हैं गुलशन में केवल टीस सहना सीख लो।
उफ्फ करना भी मना है ये गुनाह बे बात न कर॥

सोच पर पहरे कडे हैं बात ये मत भूल जाना।
दिन को कहदें रात गर वो तु भी दिन की बात न कर॥

दर्द गर महसूस हो तो भी हंसी रखना लबों पर।
घुट के जीना हो भले ही पर घुटन की बात न कर॥

जब कभी हाकिम कहे कुछ तालियां पुरजोर देना।
मन की मन में ही दबा रख कोई मन की बात न कर॥

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.