बात सच की कह के अपनी ज़िन्दगी से घात न कर
बात सच की कह के अपनी ज़िन्दगी से घात न कर।
ये नकाबों का शहर है आईनों की बात न कर॥
देख मत कुछ सुन भी मत होता है जो जो जाने दे।
ये अंधेरों का शहर है रोशनी की बात न कर॥
काबू रख ज़जबात अपने सुन न ले कोई कहीं।
पत्थरों के इस शहर में धडकनों की बात न कर॥
खार हैं गुलशन में केवल टीस सहना सीख लो।
उफ्फ करना भी मना है ये गुनाह बे बात न कर॥
सोच पर पहरे कडे हैं बात ये मत भूल जाना।
दिन को कहदें रात गर वो तु भी दिन की बात न कर॥
दर्द गर महसूस हो तो भी हंसी रखना लबों पर।
घुट के जीना हो भले ही पर घुटन की बात न कर॥
जब कभी हाकिम कहे कुछ तालियां पुरजोर देना।
मन की मन में ही दबा रख कोई मन की बात न कर॥
सतीश बंसल