गीत/नवगीत

गीत : हे माँ तुझको मेरा वंदन

रिश्ता है ये सबसे न्यारा,
सबसे अनुपम है ये बंधन,
ॠणी रहूँगा सदा तुम्हारा,
हे माँ तुझको मेरा वंदन,

तुमने अपने उदर में मुझको,
नौ माह तक संभाला था,
कैसे पाल सकेगा कोई,
जैसे तूने पाला था,
तेरी साँस से साँस जुड़ी थी,
और तेरी धड़कन से धड़कन,
ॠणी रहूँगा सदा तुम्हारा,
हे माँ तुझको मेरा वंदन,

प्रसूति वेला में तुमने,
कितने स्वप्न सजाए थे,
मानव क्षमता से भी ज्यादा,
तूने कष्ट उठाए थे,
भूल गईं सारी पीड़ा तुम,
सुनकर मेरा पहला क्रंदन,
ॠणी रहूँगा सदा तुम्हारा,
हे माँ तुझको मेरा वंदन,

बड़े जतन से किया था तूने,
मेरा पालन पोषण मैया,
तुम बिन कैसे पार उतरती,
माँ मेरे जीवन की नैया,
नाम करेगा रोशन तेरा,
इस जग में तेरा ये नंदन,
ॠणी रहूँगा सदा तुम्हारा,
हे माँ तुझको मेरा वंदन,

— भरत मल्होत्रा

*भरत मल्होत्रा

जन्म 17 अगस्त 1970 शिक्षा स्नातक, पेशे से व्यावसायी, मूल रूप से अमृतसर, पंजाब निवासी और वर्तमान में माया नगरी मुम्बई में निवास, कृति- ‘पहले ही चर्चे हैं जमाने में’ (पहला स्वतंत्र संग्रह), विविध- देश व विदेश (कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्र, पत्रिकाओं व कुछ साझा संग्रहों में रचनायें प्रकाशित, मुख्यतः गजल लेखन में रुचि के साथ सोशल मीडिया पर भी सक्रिय, सम्पर्क- डी-702, वृन्दावन बिल्डिंग, पवार पब्लिक स्कूल के पास, पिंसुर जिमखाना, कांदिवली (वेस्ट) मुम्बई-400067 मो. 9820145107 ईमेल- [email protected]