गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

 

बेबसी, आह, खयालों में तुम्हें ढूंढेंगे
प्यार के टूटे हुये वादों में तुम्हें ढूंढेंगे ।

प्यार की राह में गर हाथ कभी छूटा तो
फूल खुशबू और बहारों में तुम्हें ढूंढेंगे ।

जब कभी भीड़ में तन्हा सा लगेगा मुझको
शान्त सागर के किनारो में तुम्हें ढूंढेंगे ।

तुम कभी दूर गये मेरे खयालों से अगर
गीत गजलों की किताबों में तुम्हें ढूंढेंगे

तोड़कर दिल ये मिरा ‘धर्म’ के होना न कभी
जामे-मयकश के पियालों में तुम्हें ढूंढेंगे।

— धर्म पाण्डेय

One thought on “ग़ज़ल

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    ग़ज़ल अच्छी लगी .

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