ग़ज़ल
बेबसी, आह, खयालों में तुम्हें ढूंढेंगे
प्यार के टूटे हुये वादों में तुम्हें ढूंढेंगे ।
प्यार की राह में गर हाथ कभी छूटा तो
फूल खुशबू और बहारों में तुम्हें ढूंढेंगे ।
जब कभी भीड़ में तन्हा सा लगेगा मुझको
शान्त सागर के किनारो में तुम्हें ढूंढेंगे ।
तुम कभी दूर गये मेरे खयालों से अगर
गीत गजलों की किताबों में तुम्हें ढूंढेंगे
तोड़कर दिल ये मिरा ‘धर्म’ के होना न कभी
जामे-मयकश के पियालों में तुम्हें ढूंढेंगे।
— धर्म पाण्डेय
ग़ज़ल अच्छी लगी .