आकर दर्शन दे जा….
उम्मीद लगाये बैठे हैं, आकर निगाहों में बस जा।
समा जलाये बैठे हैं,आकर दिलों में जगह बना जा।
अपने प्रकाशपुंज से, मेरे अंदर ज्योति जला जा।
अज्ञानता से ज्ञान की ओर मुझे राह दिखला जा।जीवन रूपी राह में, भटका एक राही हूँ मैं।
मजधार में फंसी नईया, बेड़ा मेरा पार लगा जा।
नहीं है कोई खेवनहार, खेवईया आकर बन जा।
आराधना करता मैं बारम्बार, पुकार मेरी सुन जा।दर्शनार्थी बन व्याकुल हूँ मैं, आकर दर्शन दे जा।
जगह बनाकर मेरे हृदय में,मेरे उपर कुछ कर जा।
धन-धान से परिपूर्ण कर, सूखो का भण्डार दे जा।
खुशी का माहौल बनाकर,खुशियों का वर्षा कर जा।
@रमेश कुमार सिंह /२६-०९-२०१५@