कविता
टीस सी उठती है दिल मे
हाय! मैंने ये क्या कर दिया
प्रेम को अपने ही हाथो
दान मैंने कर दिया
साथ था जब भी वो मेरे
लाख उसने मन्नते की
मै प्रेम ठुकरती गयी
मैने कदर ना उसकी की
वो बाहो मे किसी और की
मुझे याद करके रोता है
सच कहू उससे भी ज्यादा
दर्द मुझको होता है
जो तब ना तोडी बेडीया
उन्हें आज तोडना चाहती हूँ
ना रिश्ते छोडे थे तब
उन्हें आज छोडना चाहती हूँ
पाना चाहती हूँ मै उसको
उसमें फना होना चाहती हूँ ।
— अनुपमा दीक्षित मयंक