खूँटों से बंधे लोग
घर घुसते ही रमेश ने मोबाइल पर वाई-फाई ऑन किया | व्हाट्स-अप के नोटिफिकेशन्स देखे | सबसे ज्यादा मधु के मैसेज थे | शुरुआत हेल्लो, ही, के साथ थी, फिर स्माइलीज थी, नीली, लाल फिर कानों में से धुआँ निकालती गुस्से से भरे चेहरे वाली औरत की तस्वीर थी और आखिर वाला मैसेज था – ‘ किसके साथ आवारागर्दी कर रहे हो |’
रमेश पिछले चार दिनों से ऑफिशियल टूर पर था | कार्यक्रम अचानक बना था | रमेश के दफ्तर में नैट चलाने पर रोक थी | ऐसा नहीं कि सभी इस आदेश का अक्षरश: पालन करते थे लेकिन रमेश थोड़ा भावुक किस्म का इंसान था और वह नहीं चाहता था कि इस बात के लिए कोई उसे टोके, इसलिए उसने ऑफिस ऑवर में नैट न चलाने की आदत बना ली थी, इसीलिए वह नैट पैक भी नहीं डलवाता था | ऑफिस का टाईम 10 से 4 बजे तक था | सुबह वह घर से 9 बजे के बाद ही निकलता था और पांच बजे वापस आ जाता था | जाने से पहले और आने के बाद उसके पास फुर्सत ही फुर्सत थी | टूर पर जाने की सूचना उसे ऑफिस पहुंचने के बाद मिली | वह तुरंत घर लौटा और जरूरी सामान लेकर मुम्बई चला गया | जाते समय मधु को मैसेज नहीं कर पाया | फोन करने की उसने सोची थी मगर वह झिझक गया | मधु उसकी व्हाट्स-अप फ्रेंड थी |
‘ सॉरी, ऑफिस के कार्य से मुंबई जाना पड़ा | जाते समय बता नहीं पाया | अभी वापस लौटा हूँ | नहाया भी नहीं, सबसे पहले तुम्हें मैसेज किया है |’ – रमेश ने मधु को मैसेज किया |
जब कुछ समय तक मैसेज सीन नहीं हुआ तो उसने दोबारा मैसेज किया –‘ अच्छा डिनर करके बात करते हैं |’
रमेश उठकर नहाने चला गया | मधु से उसका परिचय फेसबुक पर हुआ था | फेसबुक पर वह कब से उसकी फ्रेंड लिस्ट में थी, फ्रेंड रिक्वेस्ट उसने भेजी थी या आई थी, उसे कुछ याद नहीं | मधु से उसकी सीधी बात अढाई-तीन साल पहले फेसबुक पर उसके व्हाट्स-अप के बारे में डाले गए स्टेट्स से हुई थी | उसने उसी दिन व्हाट्स-अप इंस्टाल किया था | उसके कुछ दोस्त इस स्टेट्स पर कमेन्ट कर रहे थे | मधु ने भी कमेन्ट किया था लेकिन वह उसे संबोधित न होकर उसके दोस्त अखिल को संबोधित था | इसी स्टेट्स पर अखिल और मधु की कमेन्ट के माध्यम से बातचीत चल पड़ी तो रमेश भी बीच में कूद पड़ा | रमेश से मधु का एक कमेन्ट समझने में चूक हुई | उसे लगा कि मधु उसे व्हाट्स-अप पर ऐड करने के लिए कह रही है तो उसने मधु का मोबाइल नम्बर पूछ लिया जिस पर मधु ने कहा कि वह अपना नम्बर किसी को नहीं देती | सॉरी कहकर रमेश ने बात समाप्त कर दी मगर उसे बड़ा गिल्ट फील हो रहा था | उसे लग रहा था कि एक शरीफ आदमी को एक शरीफ औरत से बिना जान पहचान के नम्बर नहीं मांगना चाहिए था | रमेश अब दिल्ली में रहता है मगर वह एक छोटे से कस्बे में पला बढ़ा था | नौकरी मिलने के बाद ही वह दिल्ली आया था और कस्बे के संस्कार उसे आगे से ऐसी भूल न करने के लिए सचेत कर रहे थे |
इस घटना के बाद मधु और रमेश अक्सर फेसबुक पर टकराने लगे थे | एक-दूसरे की फोटो और स्टेट्स को लाइक करते, कमेन्ट करते | धीरे-धीरे चैट-बॉक्स में भी हाय-हेल्लो होने लगी लेकिन रमेश अब पुरानी गलती दोहराना नहीं चाहता था | एक दिन बातचीत के दौरान ही मधु ने उससे पूछा था कि कहीं तुम्हें यह तो नहीं लगता कि मेरी आई.डी. फर्जी है |
‘ नहीं, नहीं, मैं ऐसा नहीं सोचता |’
‘ओ.के., वैसे फर्जी आई.डी. बहुत हैं |’
‘हाँ, मगर क्या फर्क पड़ता है |’ – रमेश ने बात से किनारा करते हुए कहा |
‘ हाँ, ये तो है, फिर भी अगर तुम्हें लगे तो मेरे साथ फोन पर बात कर सकते हो | मैं आपको नम्बर बता दूँगी लेकिन इसे मैं रूटीन में यूज नहीं करती |’
‘ नहीं, मुझे कोई शक नहीं और न ही मुझे कोई परीक्षा लेनी है |’ – रमेश ने शराफत दिखाते हुए कहा |
इसके बाद समय फिर आहिस्ता-आहिस्ता बीतता रहा | दोनों उसी तरह से चैटिंग करते थे कि एक दिन मधु ने ख़ुद उसका व्हाट्स-अप नम्बर पूछा और फिर दोनों फेसबुक फ्रेंड से व्हाट्स-अप फ्रेंड हो गए |
नहाकर आने के बाद वह सीधा डाइनिंग टेबल पर पहुंचा | यहाँ उसकी पत्नी सुनीता और बेटा रिशु उसका इन्तजार कर रहे थे | सुनीता और रिशु ही उसे एयर-पोर्ट से लेकर आए थे | आते ही सुनीता किचन में चली गई थी और रिशु टी.वी. देखने लगा था | अब तीनों फिर इकट्ठे थे | खाने के साथ-साथ सामान्य बातचीत हो रही थी लेकिन रमेश का ध्यान मधु पर अटका हुआ था | साल भर से वे व्हाट्स-अप पर चैट करते आ रहे थे | चैट में जोक्स, वीडियो. चुटीली बातें सब कुछ चलता था | मधु जानती थी कि रमेश शादी-शुदा है और उसके एक बेटा भी है | मधु ख़ुद भी तो शादी-शुदा थी | उसकी बेटी 8 साल की और बेटा 6 साल का था | दोनों का शादी-शुदा होना कोई समस्या नहीं था, आखिर वे दोस्त ही तो थे |
‘ दोस्त !’ – रमेश कभी-कभी परेशान हो जाता था | उसका छोटे कस्बे में पैदा होना शायद इसका एक कारण था, तभी तो गुलाब के फूल, आँख मारते स्टीकर, गर्मागर्म जोक्स उसे हैरान करते थे | फेसबुक पर जब वह किसी महिला की फोटो लाइक करता या उस पर कमेन्ट करता तो मधु तुरंत उसे मैसेज करते थी कि किधर हाथ मार रहे हो | वह अक्सर यह जताती थी कि उसे रमेश का किसी और औरत से बात करना अच्छा नहीं लगेगा, इसलिए वह कभी-कभी पूछती भी थी कि तुम्हारी और कितनी महिला दोस्त हैं | रमेश समझ नहीं पाता था कि मधु एक प्रेमिका-सी इर्ष्या क्यों दिखाती है |
खाना खाकर रमेश वापस अपने बेडरूम में आ गया | मधु को हेल्लो का मैसेज भेजा | न जाने क्यों उसका दिल धड़क रहा था | रमेश को दो महीने पहले घटी घटना याद आ गई | फेसबुक पर मोबाइल नम्बर पूछने के बाद उसने दूसरी गलती की थी | मधु उस दिन भी वैसी ही बातें कर रही थी जिससे यह झलकता था कि वह सिर्फ़ उसी से बात करे | रमेश ने उत्साहित होकर ‘ किस ’ का स्टीकर भेज दिया |
मधु ने पूछा – ‘ ये क्या है ?’
‘ बस मन में जज्बात आए तो भेज दिया | क्या इसका अर्थ तुम नहीं समझती |’ – रमेश पर उसके कस्बाई संस्कार फिर हावी हो गए थे और उसने बड़े गोल-मोल ढंग से प्रेम निवेदन किया था |
मधु ने सिर्फ़ इतना कहा कि हम अच्छे दोस्त हैं | फिर वह बताने लगी कि वह अपने पति को कितना प्यार करती है | वैसे पति की बातें वह पहले भी करती थी और कभी भी उसने ऐसा जाहिर नहीं किया था कि वह पति से नाराज हो या उससे उकता गई हो | रमेश ने तब अपनी स्थिति भी देखी | वह भी सुनीता से प्रेम करता है और सुनीता को छोडकर किसी दूसरी औरत से जुड़ने के ख्याल उसके मन में कैसे आए इससे वह अचंभित था | रमेश सुस्त पड़ गया था लेकिन मधु उसे बार-बार जता रही थी कि उसने बुरा नहीं माना और हम अच्छे दोस्त बने रहेंगे |
कुछ भी हो, रमेश को झटका-सा लग चुका था | इसके बाद भी उनकी चैट नियमित रूप से चल रही थी | रमेश के मन के किसी कोने में कोई डर बैठा था तभी उसने इस घटना के बाद कभी मधु को कॉल नहीं किया था हालांकि इस घटना से पूर्व वे आपस में कॉल कर लेते थे | इसी कारण उसने मुंबई जाने की सूचना उसने कॉल करके नहीं दी थी |
मधु अब ऑनलाइन थी | मैसेज सीन हो चुके थे मगर न रिप्लाई आया था और न ही टाइपिंग का ऑप्शन आ रहा था | रमेश अधीर हो उठा | आखिर में उसने फिर एक गलती करने का फैसला लिया, हालांकि दिल की धड़कनें तेज हो गई थी | उसने कान पकड़े हुए एक सेल्फी ली और मधु को सेंड कर दी |
फोटो सीन हुई
रिप्लाई में स्टीकर था – आँसू बहाता हुआ
‘ नाराज हो |’
‘ हम्म्म्म….’
‘ अचानक जाना पड़ गया | तुम जानती तो हो कि मैं नैट पैक नहीं डलवाता |’
‘ कॉल तो कर सकते थे |’
‘ सॉरी, काम में इतना बिज़ी था कि ध्यान ही नहीं रहा |’
‘ ध्यान नहीं रहा या…….’
‘ सच कहता हूँ ध्यान नहीं रहा |’
‘ तुम्हें बहुत मिस किया | कुछ करने को दिल ही नहीं कर रहा था | पहले सोचा कि मैं कॉल कर लूं फिर मुझे गुस्सा आ गया |’
‘ घर तो सब ठीक हैं |’
‘ हाँ, मगर….’
‘ मगर क्या ?’
‘ तुमसे बात किए बिना चैन नहीं मिलता | आगे से ऐसा किया तो ……’
‘ तो….’ – धडकते दिल के साथ रमेश ने पूछा |
‘ तभी बताउँगी ’ – साथ ही उसने एंगर दर्शाता स्टीकर भेज दिया |
‘ ओ.के. बाबा, आगे से कोई गलती नहीं होगी |’ – रमेश ने ख़ुद को नियंत्रित किया और बात का रुख बदलते हुए पूछा – ‘ पतिदेव ’
‘ लैपटॉप पर काम कर रहे हैं |’
‘ डिनर हो गया |’
‘ हाँ, अब मैं फ्री हूँ तुमसे बात करने के लिए |’ उसने ‘ हा हा हा ’ के साथ मैसेज का अंत किया |
रमेश का ध्यान पत्नी पर गया, जो अब टी.वी. देख रही थी | उसका फोन रमेश के सामने ही था | कस्बाई संस्कार सोच रहे थे कि दिन भर उसकी पत्नी भी फ्री होती है | वह दिल्ली की ही है और शुरू से इस माहौल में पली है | व्हाट्स-अप और फेसबुक का प्रयोग करती है | एक बार उसने पत्नी के फोन को चैक करने की सोची मगर अब वह बड़े शहर में बड़े पद पर काम करता है | ये दकियानूसी ख्याल अब अच्छे नहीं लगते | जब तक वह इस सोच के चक्कर से बाहर निकला तब तक मधु के तीन मैसेज आ चुके थे | वह पूछ रही थी कि कहाँ खो गए |
‘ कहीं नहीं |’
‘ फिर रिप्लाई नहीं किया |’
‘ बस यूं ही …’
‘ मुंबई में कोई नई सहेली तो नहीं बना ली |’
‘ नहीं, नहीं, हम खूँटों से बंधे लोग क्या सहेली बनाएंगे |’
‘ खूँटे…..?’
‘ घर-गृहस्थी खूँटे ही तो हैं |’ हा हा हा कहकर रमेश ने अपनी इस गंभीर बात को मजाक का रंग देने की कोशिश की |
‘ ह्म्म्मम्म, कभी-कभी छूट तो मिल ही जाती होगी |’ – उसने आँख मारती स्माइली के साथ मैसेज भेजा |
‘ छूट तो कहाँ मिलती है, बस खूँटे पर बंधे उछल-कूद कर लेते हैं |’ – रमेश ने भी उसी स्माइली के साथ रिप्लाई किया |
‘ थोड़ा-बहुत उछलते रहा करो, ठीक रहता है |’ – जीभ निकालती स्माइली के साथ मधु का रिप्लाई आया |
तभी सुनीता ने टी.वी. बंद कर दिया | रमेश ने इसकी सूचना मधु को दी और शुभ रात्रि के संदेश के साथ दोनों अपने-अपने खूँटों पर वापस लौट आए |
— दिलबाग सिंह विर्क