कील पर टंगा दिल
कील पर टंगा दिल
एक कील पर दिल टांग रखा है
जिसके फ्रेम में तुम्हारी तस्वीर टंगी है।
बार-बार पोंछती हूँ दिल अपना
और तुम्हारा चेहरा, साफ़ कर लेती हूँ।
तुम गलतियाँ तो कुछ नहीं करते
पर मैं मान लेती हूँ
फिर खुदी को समझाती हूँ
और खुदी तुम्हें, माफ़ कर लेती हूँ।
बार-बार पोंछती हूँ दिल अपना
और तुम्हारा चेहरा, साफ़ कर लेती हूँ।
दिन-ब-दिन तस्वीर पुरानी पड़ती है
पर दिन-ब-दिन रंग भरती हूँ
दिन-ब-दिन नया करती हूँ
पुराने रिश्ते का यों, नया आगाज़ कर लेती हूँ
बार-बार पोंछती हूँ दिल अपना
और तुम्हारा चेहरा साफ़ कर लेती हूँ।
साफ़ कर लेती हूँ चेहरा तुम्हारा
मगर अपना भूल जाती हूँ
गलतियाँ तुम्हीं तो नहीं करते
क्यों न माफ़ी की मैं भी, फ़रियाद कर लेती हूँ
बार-बार पोंछती हूँ दिल अपना
और तुम्हारा चेहरा, साफ़ कर लेती हूँ।
खूंटी पर टंगा हुआ दिल
कभी-कभी धड़क भी पड़ता है
शिकवे-गिले मिटाकर उतारती हूँ
और अपने सीने में सजा, आबाद कर लेती हूँ
बार-बार पोंछती हूँ दिल अपना
और तुम्हारा चेहरा, साफ़ कर लेती हूँ।
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बहुत खूब ,वाह वाह वाह .
शुक्रिया