[‘बेटी की चाहत’के बाद की कहानी] तान्या बहुत कुशलता से स्टीयरिंग व्हील के निचले भाग में उँगलियाँ रख, गाड़ी चला रही थी। जबकि स्टीयरिंग के ऊपरी हिस्से पर रखी बाएं हाथ की उँगलियाँ गाड़ी में बज रहे गीत पर थिरक रही थीं। मैंने उसके नाखूनों पर लगे चमकदार नेलपेंट को देखा और फिर अपने नेलपेंट […]
Author: *नीतू सिंह
बेटी की चाहत
बेटी की चाहत [‘मुझे सब छोड़ देंगे’के पहले की कहानी] काफी देर हो गई। मुझें अब चिंता हो रही है। मैंने एक बार फिर बालकनी में कदम रखा और नीचे देखा। गेट के पास पड़े बुरी तरह भीगे हुए एक कुत्ते के अलावा वहां कहीं भी कोई भी नहीं था। लैम्प पोस्ट के नीचे बारिश […]
खाली-खाली
[यह कहानी केवल वयस्कों के लिए है] [This Story is only for adults] खाली-खाली कमला ने बेसन भरे हाथों से बचाते हुए दरवाज़े की कुंडी खोली तो दरवाज़े पर अपर्णा खड़ी थी। “नमस्ते भाभी।” “अरे आओ-आओ अपर्णा। बहुत सही समय से आई। पकौड़े तल रही हूँ। खा कर जाना।” “अरे नहीं भाभी। आप बस नव्या […]
कामचोर मिनी
कामचोर मिनी सुबह से ही घरभर में मिनी का नाम गूँजने लगता है। “मिनी ज़रा गैस बंद कर देना” “ मिनी मेरे मोजे कहाँ रख दिए” “मिनी तुलसी के पत्ते तोड़ ला” “मिनी बाइक पोंछने के लिए गंदा कपड़ा देना” “मिनी ये” “मिनी वो”। वैसे तो मिनी 14-15 साल की थी, मगर अपनी उम्र 18 […]
आखिरी कहानी (भाग 5/5)
अध्याय 5 : आखिरी कहानी निरंजन को अब अपने संकलन के लिए आखिरी कहानी की तलाश थी। कथामहोत्सव का समय जैसे-जैसे पास आता जा रहा था और वह वैसे-वैसे व्यग्र होता जा रहा था। उसे किसी ऐसे विषय की तलाश थी जो अद्भुत हो, अद्वितीय हो। मगर वह जितना बेचैन था, उसे उतना कम सूझ […]
आखिरी कहानी (भाग 4/5)
अध्याय 4 – औघड़ बाबा निरंजन का संकलन लगभग-लगभग पूरा हो गया था। उसे अपनी आखिरी कहानी की जितनी ही शिद्दत से तलाश थी, उतनी ही वह उससे दूर जा रही थी। काफी खोजने के बाद भी उसे कोई ऐसा सिरा नहीं मिल रहा था जिसे पकड़कर वह अपनी आखिरी कहानी तक पहुँच सके। वह […]
आखिरी कहानी (भाग 3/5)
अध्याय 3 : विपुल बाहर टहलते-टहलते उसे मालती की याद आई मगर वह उस गली में किसी कीमत पर नहीं जाना चाहता था। वह किसी अनजान तरफ मुड़ गया। उसने जेब में हाथ डाला तो पायल की जगह कुछ और मिला। उसने उसे बाहर निकालकर देखा तो वह एक पेन था, जो उसने बेखुदी में […]
आखिरी कहानी (भाग 2/5)
अध्याय 2– रजनी जी मालती का नाम जैसे दहकते लोहे की मुहर से सीने पर दाग देने जैसा था। उसका ख्याल भी आता था तो निरंजन झुलस जाता था। कुछ इस कदर कि आस-पास का कुछ भी, न दिखाई पड़ता था, न सुनाई। फिर कई दिन के इलाज के बाद भी पसलियों में दर्द रहता […]
विदाई
आंगन में चारो ओर लाइटें लगा दी गई हैं। अब मंडप खड़ा करने की तैयारी चल रही थी जब चिंटू भागता हुआ आँगन में आकर खड़ा हो गया और दोनों हाथ कमर पर रखकर चिल्लाने लगा – “यहाँ उमा देवी कौन है? उमा देवी…उमा देवी….उमा देवी”। इतने में राकेश ने एक ज़ोर का चांटा उसकी […]
आखिरी कहानी (भाग 1/5)
अध्याय 1 – मालती सिगरेट के धुएँ में उसके चेहरे का केवल दाढ़ी-मूँछ वाला हिस्सा दिख रहा था, बाक़ी धुएँ में ही विलीन हो चुका था। उस गुमटी के पास गड़े लैम्प पोस्ट के नीचे खड़े होकर वह इतनी डरावनी मूरत लग रहा था कि उस ओर जा रही एक बिल्ली सहमकर खड़ी हो गई। […]