गीत : जीवन एक अभियान हो गया
जीवन एक अभियान हो गया
जितनी अड़चन मिली राह में ,
सफ़र और हो गया।
1 सोच रहे थे हम मन ही मन
पानी ही अपना जीवन धन
ऐसे सूखे ताल -तलइया
तन मन रेगिस्तान हो गया।
जीवन एक ——
2
कौन है अपना कौन पराया
ये पागल मन समझ न पाया,
जब से ठुकराया अपनों ने ,
भले बुरे का ज्ञान हो गया।
जीवन एक —–
3
तिनका तिनका माया जोड़ी,
बीती बहुत रही अब थोड़ी,
ऐसे रंगी श्याम के रंग में
केसरिया परिधान हो गया।
जीवन एक —
4
सबकी अपनी अलग कतारें,
आँगन बीच खिंची दीवारें
दरवाजे का बूढ़ा बरगद झुक
कर तीरकमान हो गया ।
जीवन एक —-
शुभदा बाजपेयी
कौन है अपना कौन पराया
ये पागल मन समझ न पाया,
जब से ठुकराया अपनों ने ,
भले बुरे का ज्ञान हो गया। शाएद यह हर किसी की कहानी है .