गीत/नवगीत

गीत : आशाएँ

आज की सुबह फिर से आई है, इक नयी उम्मीद लेकर
आशा की एक नयी किरण, इक नयी तस्वीर लेकर
लिख दे इक नयी तहरीर इससे, अपनी तकदीर में
भर दे नए रँग फिर इसमें, ग़र तू चाहता है ……

खुद की एक नयी परिभाषा लिख
अपने ही शब्दों में, अपने जज़्बातों से
अपने ही ख्यालों में, अपने ही ख़्वाबों से
दे अपने वजूद को एक नयी आशा, ग़र तू चाहता है ……..

कोई तेरा हमदम नहीं, कोई तेरा साथी नहीं
दिया बनकर तू जलता चल, क्या ग़म जो बाती नहीं
रोशन कर दे इस जहाँ को, अपनी ही लौ से तू
दे इस जीवन को इक नयी दिशा, ग़र तू चाहता है …..

क्या देखीं कभी तूने वो आँखें, जो रोयीं ही नहीं
तू खुद है तेरी सही परिभाषा, और कोई नहीं
तू ही है तेरी आत्मा का सच, याद रख
खुश रह अपनी ही धुन में,
ग़र तू सही मायनों में, जीना चाहता है ….जीना चाहता है !

मीना सूद 

मीना सूद

नाम - मीना सूद (मीनू नाम से लिखती हूँ) संप्रति - स्वतंत्र लेखन, देश के प्रतिष्ठित काव्य- संग्रहों, समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। प्रकाशित पुस्तकें - 1 (कृति, मेरी अभिव्यक्ति) E mail - [email protected]