गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

दुनिया भर की मुश्किलें सुर साधेंगी
अपनी चाहत की धुन बजा के देख।।
निगाहों से गिरकर तेरे अश्क तन्हा होंगे
आइने में अक्स अपना मुस्कुरा के देख।।
सजती है तेरे घर में बज्मे गैरियत ‘नीलू’
कभी दबे पाँव अपने घर जा के देख ।।
गुनाह उसके तेरे काँधे लहूलुहान करेंगे
कातिले वफा का जनाजा उठा के देख ।।
तेरी बर्बादी के मंजर से आंख वो सेकेंगे
यकीन न हो तो घर अपना जला के देख।।

आरती वर्मा ‘नीलू’

आरती आलोक वर्मा 'नीलू'

आरती वर्मा ,"नीलू" W/o----श्री आलोक कुमार वर्मा शिक्षा ---एम ए स्नातक----(भूगोल) स्नातकोतर--(इतिहास) आनंद नगर, सिवान, बिहार जिला -सिवान, शहर--सिवान बिहार राज्य शौक --लेखन ,चित्रकारी पेशा---गृहिणी