दिल में हसरतें तमाम बाकी हैं…
दिल में हसरतें तमाम बाकी हैं।
कई हासिल हुए कई मुकाम बाकी हैं॥
अभी तो भूमिका हुई है केवल।
ज़िन्दगी का असली पैग़ाम बाकी हैं॥
धुल तो गए है कई दाग़ दामन के।
पर अभी भी छींटे तमाम बाकी हैं॥
उनकी कोशिशे बद़नाम न कर सकीं।
मगर मेरे सर उनका इल्ज़ाम बाकी है॥
अभी तो ज़हर के घूंट हिस्से आये है।
दोस्तों मिलना वफा़ के ज़ाम बाकी हैं॥
बनाये रखना अपना प्यार मुझ पर।
अभी जिन्दगी में ग़मों की शाम बाकी हैं॥
अब तक तो यूं ही उलझनों में गुज़री है।
अभी ज़िन्दगी का असली काम बाकी है॥
सतीश बंसल