गीतिका
वक्त के आगे जो झुकते नहीं हैं!
गलत रास्ते जो चुनते नहीं हैं!
विरोध झेलना पड़े अपनो का भी
पर अच्छाई से पीछे हटते नहीं है!
खुद के हौंसलो से बढ़ाते हैं कदम
हालात को दोष वो मढ़ते नहीं हैं!
जीवन को अपने सार्थक बना कर
फिर कभी वो पीछे मुड़ते नहीं हैं!
समाज को बदलने की ताकत भी
अपने में शायद रखते वही हैं!!!
कामनी गुप्ता ***
कविता बहुत अच्छी लगी ,जैसी आप खुद हैं ऐसे ही विचार पेश कर दिए जो सराहनीय है .
हौंसला बड़ाने के लिए आपका बहुत धन्यवाद सर जी