पतंगें…( मकर संक्रान्ति विशेष )
पतंगें…(मकरसंक्रान्ति पर विशेष)
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हरी, पीली, लाल पतंगें
अरे, अरे ! संभाल पतंगें
मकर संक्रान्ति का मौसम है
छत पर चँढ़, ले डोर पतंगें
जमघट लगा छतों पर कैसा
उड़ा रहे कर शोर पतंगें
वे लज्जा में सहमी सहमी
कर रही सबको बोर पतंगें
इठलाती सी बलखाती सी,
कुछ चंचल चितचोर पतंगें
आज ‘व्यग्र’ भी खुश है देखो
शब्दो की ले डोर पतंगें….
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– विश्वम्भर पाण्डेय ‘व्यग्र’
गंगापुर सिटी