वह लड़की
लघुकथा – वह लड़की
वे त्याग की मूर्तियां थी. दो में से एक का त्याग करती गई.
पहली निडरता से आई और उसी का त्याग कर दिया.
दूसरी को शालीनता पसंद आई और उसी को ग्रहण कर लिया.
तीसरी ने भाई की पसंदीदा दुराव-छुपाव उसी को दे दिया.
चौथी ने माँ से दया-ममता ग्रहण कर ली व कठोरता त्याग दी.
पाचवीं ने बंधन रूपी पायल पिता व पति से प्राप्त कर पैर में पहन ली.
छटी को उड़ान पसंद नहीं थी.
सातवीं रोशनी से डर गई और अपनी ऑंखें बंद कर अँधेरे से प्यार करने लगी.
इस तरह वे निडरता, अश्लीलता, दुराव-छुपाव, कठोरता, उन्मुक्तता, स्वछंदता और उजाले को मातापिता के कहने पर भाई को दे दिया और स्वयं संस्कार के मन्दिर में प्रतिष्ठित हो गई.
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१४/०१/२०१६
लघु कथा कुछ समझने में मुश्किल लगी .