मेरी नन्हीं परी अब बड़ी हो गई
कल तक थी वो मेरी छोटी सी गुड़िया
थोड़ी सी चंचल शरारत की पुड़िया
मगर आज अपनी माँ की छवि हो गई
कभी देर तक सोती रहती थी जो
ज़रा कुछ कहो रोती रहती थी वो
माँ कहती थी सीखेगी कब सारे काम
कल को डुबाएगी तू मेरा नाम
छुप जाती थी पापा की गोद में
माँ जब देखती थी उसे क्रोध में
आज परिवार की वो धुरी हो गई
मेरी नन्हीं परी अब बड़ी हो गई
माँ को चिंता थी जाना है मुझको बाहर
कैसे पीछे से होगा तुम्हारा बसर
कहा उसने माँ तुम ना चिंता करो
मैं कर लूँगी सब तुम ज़रा ना डरो
चाय सबको बना के पिला दूँगी मैं
और रोटी भी सबको खिला दूँगी मैं
जिम्मेदारी लेने को खड़ी हो गई
मेरी नन्हीं परी अब बड़ी हो गई
अब सुबह जल्दी-जल्दी उठ जाती है वो
काम सारे फटाफट निपटाती है वो
बनाना आता है जैसा बना देती है
और हमको समय पर खिला देती है
भाईयों को प्रेम से लेती है वो संभाल
चाचा की लाडली रखे सबका ख्याल
परीक्षा उसकी कितनी कड़ी हो गई
मेरी नन्हीं परी अब बड़ी हो गई
कल तक थी वो मेरी छोटी सी गुड़िया
थोड़ी सी चंचल शरारत की पुड़िया
मगर आज अपनी माँ की छवि हो गई
मेरी नन्हीं परी अब बड़ी हो गई
— भरत मल्होत्रा
बहुत सुंदर भावनायें।